सोनरूपा विशाल ने आज तक के कवि सम्मेलन में अपनी शायरी से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. उन्होंने प्रेम, वीरता और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित कविताएं प्रस्तुत कीं. बदायूं की इस होनहार कवयित्री ने अपने पिता राष्ट्रीय कवि उर्मिलेश शांकेधर की विरासत को बेहतरीन तरीके से आगे बढ़ाया.
प्रसिद्ध कवि चंदन राय ने हाल ही में एक कार्यक्रम में अपनी प्रेम कविताओं से सभी का दिल जीत लिया. उन्होंने युवाओं को प्रेम में स्वाभिमान बनाए रखने का महत्व समझाया, यह कहा कि प्रेम की असफलता पर आत्महत्या करना गलत है. उनकी कविताएं प्रेम की गहराई और जटिलताओं को सरल शब्दों में व्यक्त करती हैं.
लोकप्रिय गायक मिका सिंह ने लखनऊ में आज तक के लिए एक शानदार प्रस्तुति दी. उन्होंने अपने हिट गानों के साथ-साथ आज तक के लिए एक विशेष गीत भी गाया. कार्यक्रम में उन्होंने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. मिका ने आज तक की टीम की तारीफ करते हुए कहा कि यह उनका पसंदीदा न्यूज़ चैनल है. उन्होंने लखनऊ शहर और यहाँ के लोगों की मेहमाननवाजी की भी प्रशंसा की.
प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने धर्म की रक्षा और आत्मज्ञान के बीच संबंध पर गहन चर्चा की. सनातन धर्म, महावीर और हनुमान जी के उदाहरणों से समझाया गया कि सच्चा धर्म क्या है. अहंकार और आत्मज्ञान के बीच अंतर, पैगंबर और दिगंबर परंपरा की तुलना, तथा रामायण और महाभारत से लिए गए प्रसंगों द्वारा धार्मिक कथाओं का वास्तविक अर्थ समझाया गया है. धर्म के नाम पर स्पर्धा और व्यावसायिकता पर भी चर्चा की गई है.
प्रसिद्ध लेखक अमीश त्रिपाठी ने अपनी केदारनाथ यात्रा का भावुक वर्णन किया. उन्होंने बताया कि कैसे पैदल चलकर मंदिर पहुंचने पर उन्हें अलौकिक अनुभव हुआ. शिव के दर्शन से उनके जीवन के कठिन समय का दुख दूर हुआ. त्रिपाठी ने कहा कि तीर्थयात्रा में तपस्या और परिश्रम का महत्व है. उन्होंने अपनी पुस्तकों में शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन किया है, लेकिन फिर भी शिव की महिमा अपार है.
प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पठानिया ने महत्वाकांक्षा और ऋण के बीच संबंध पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि भोग बिना ऋण नहीं होता और जितना लाभ, उतना ऋण. पठानिया ने बताया कि बिलियनेयर्स सबसे बड़े ऋणी होते हैं. उन्होंने यज्ञ परंपरा और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के बीच तुलना की. पठानिया ने कहा कि मोक्ष का मतलब ऋण से मुक्ति है और केवल डुबकी मारने से ऋण मुक्ति नहीं होती. उन्होंने लोगों को महत्वाकांक्षा से बचने की सलाह दी.
प्रसिद्ध लेखक अमीश त्रिपाठी ने महाकुंभ के अनुभव और महत्व पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि कैसे महाकुंभ हमें हमारे पूर्वजों से जोड़ता है और हमारी संस्कृति को जीवंत रखता है. त्रिपाठी ने अमृत मंथन की कथा का आधुनिक संदर्भ में विश्लेषण किया और कहा कि बदलाव के साथ कुछ विष भी निकलता है, जिसे शिव भक्तों को पीना चाहिए. उन्होंने यूपी के विकास की भी प्रशंसा की और कहा कि भारत में तेजी से बदलाव हो रहा है.
प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने कहा- रामायण के पात्रों के गहरे अर्थ को समझने की जरूरत है. वाल्मीकि ने रावण को शिव भक्त और वेद ज्ञानी क्यों दिखाया? राम और रावण के चरित्र में क्या अंतर है? यज्ञ का वास्तविक अर्थ क्या है? ज्ञान देने और लेने में पाचन शक्ति का क्या महत्व है? सरस्वती और लक्ष्मी के बीच चुनाव कैसे करें? इन सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ें यह लेख.
साहित्य आज तक में देवदत्त पट्टनायक ने महाकुंभ के इतिहास और महत्व पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि कुंभ शब्द का प्रयोग 1857 से शुरू हुआ, इससे पहले इसे माघ मेला कहा जाता था. पट्टनायक ने त्रिवेणी संगम, बृहस्पति ग्रह की स्थिति और कुंभ मेले के विभिन्न स्थानों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने शिव, राम और वेदों के महत्व पर भी प्रकाश डाला, साथ ही शब्दार्थ और भावार्थ के बीच के अंतर को समझाया.
प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने साहित्य आजतक के मंच से समझाया कुंभ स्नान का वास्तविक अर्थ क्या है. यज्ञ और तप के बीच क्या अंतर है? वेदों में अग्नि और यज्ञ का महत्व समझें. शिव के नृत्य से जानें मंत्रों का गूढ़ अर्थ. भभूत और विभूति का रहस्य. यज्ञ में देवताओं का आह्वान और आहुति का महत्व. मन के परिवर्तन की आवश्यकता. तीर्थ यात्रा का असली उद्देश्य क्या होना चाहिए? वेदों में भूख और भोग का सिद्धांत. यज्ञ में नैवेद्य और प्रसाद का महत्व. ऋण और मुक्ति का संबंध.
मीका जब स्टेज पर गा रहे थे तो उनके पास दो बच्चियां सेल्फी लेने आईं. तब उन्होंने उदित को याद करते हुए मैं सेल्फी लेते हुए वैसे काम नहीं करता. अरे उदित जी. बीच-बीच में मीका कई बार हंसी मजाक में टॉन्ट करते रहे.
प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने अपने लेखन प्रक्रिया का रहस्य खोला. उन्होंने बताया कि वे कैसे विभिन्न आयु वर्ग और रुचि के पाठकों के लिए अलग-अलग विषयों पर लिखते हैं. पटनायक ने देवताओं और संगीत के बीच संबंध पर प्रकाश डाला और कहा कि आजकल लोग देवताओं के हाथों में केवल हथियार देखते हैं, वाद्ययंत्र नहीं. उन्होंने बच्चों के लिए एक नई पुस्तक की योजना का खुलासा किया जो देवताओं को संगीत से जोड़ेगी.
प्रसिद्ध लेखक अमीष त्रिपाठी ने शिव पर बनने वाली नई डॉक्यूमेंट्री के बारे में खुलासा किया. उन्होंने बताया कि यह डिस्कवरी टीवी पर प्रसारित होगी. अमीष ने अपनी लेखनी, होस्टिंग और प्रोड्यूसिंग के अनुभवों पर भी चर्चा की. उन्होंने शिव की लोकप्रियता के कारणों पर प्रकाश डाला और बताया कि शिव भोलेनाथ हैं, लेकिन साथ ही बुद्धिमान भी. अमीष ने कहा कि शिव का दिल साफ है, जो सभी को पसंद आता है.
मशहूर गीतकार मनोज मुंतशिर ने हिंदू राष्ट्र पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है और सदैव रहेगा. मुंतशिर ने कुरीतियों पर भी बात की और कहा कि ये सनातन धर्म का हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने जातिवाद और सती प्रथा जैसी कुरीतियों के इतिहास पर प्रकाश डाला. मुंतशिर ने नए भारत में विकास और समानता पर जोर दिया और कहा कि आज कोई बंटवारा नहीं है. उन्होंने संत रैदास का उदाहरण देते हुए धर्म परिवर्तन का विरोध किया.
साहित्या आजतक के कार्यक्रम में मशहूर गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर ने युवाओं को संदेश दिया कि सफलता पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है. उन्होंने कहा कि इंस्टाग्राम जेनरेशन को इंस्टेंट ग्रेटिफिकेशन की चाह छोड़नी होगी और लंबे समय तक मेहनत करनी होगी. मुंतशिर ने अपने 26 साल के संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि आज उन्हें लोग जानते हैं. उन्होंने आदि पुरुष विवाद पर भी बात की और कहा कि देश उन्हें माफ कर चुका है.
साहित्या आजतक के कार्यक्रम में मशहूर गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में जन्मे सभी लोग हिंदू हैं और सबके पूर्वज राम हैं. मनोज ने मुसलमानों से वंदे मातरम बोलने और राम को पूर्वज मानने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि औरंगजेब का इस्लाम भारत में नहीं चलेगा. तिवारी ने अपने हीरो के रूप में राम और कृष्ण का नाम लिया और कहा कि धर्म और राष्ट्र में से चुनाव करना पड़े तो वे राष्ट्र को चुनेंगे.
मशहूर गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर ने हिंदुत्व पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि हिंदू और कट्टरता एक साथ नहीं हो सकते. मनोज ने हिंदू धर्म की करुणा और ममता पर जोर दिया. उन्होंने संत नामदेव और महाराज शिवाजी के उदाहरण दिए. मनोज ने कहा कि हिंदू किसी को नहीं डराता और अब किसी से डरता भी नहीं है. उन्होंने हिंदुओं में एकता की कमी को एक बड़ी चुनौती बताया और राजनीतिक विभाजन से बचने की सलाह दी.
मनोज मुंतशिर ने बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर करारा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि बड़े नामों और सरनेमों से डराने की कोशिश बेकार है. मुंतशिर ने अपने संघर्ष की कहानी साझा करते हुए उत्तर प्रदेश के युवाओं को प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि वे चालू डब्बे में मुंबई आएंगे और हवाई जहाज से ऊंचा उड़ेंगे. मुंतशिर ने अपने पूर्वजों के शौर्य का उल्लेख करते हुए फिल्म इंडस्ट्री के बड़े लोगों को चुनौती दी. उन्होंने आदिपुरुष फिल्म के डायलॉग पर माफी भी मांगी.
साहित्य आजतक के मशहूर मुशायरे में लखनऊ की शायराना रूह को जिंदा किया गया. अमीर इमाम, सलीम सिद्दीकी, अजहर इकबाल, शबीना अदीब और मोहम्मद अली साहिल जैसे नामी शायरों ने अपनी गजलों से महफिल को गुलजार किया. इश्क, मोहब्बत, जिंदगी, वतन और लखनऊ की तहजीब पर कई शेर सुनाए गए. दर्शकों ने जोरदार तालियों से शायरों का स्वागत किया और हौसला बढ़ाया. साहित्य आज तक के मंच पर लखनऊ की नवाबी संस्कृति और उर्दू शायरी की खूबसूरत झलक देखने को मिली.
साहित्या आजतक के कार्यक्रम में मशहूर गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर ने हिंदुत्व, सेक्युलरिज्म और हिंदू राष्ट्र पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि हिंदू कभी कट्टर नहीं हो सकता और हिंदुत्व को सबसे बड़ा खतरा अपने ही लोगों से है. मुंतशिर ने जोर देकर कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र है और सदैव रहेगा. उन्होंने मुस्लिम समुदाय से राम को पूर्वज मानने और वंदे मातरम बोलने की अपील की. मुंतशिर ने कहा कि धर्म और राष्ट्र में चुनाव की स्थिति में वे सबसे पहले भारत को चुनेंगे.
मनोज मुंतशिर ने फारूक अब्दुल्ला के महाकुंभ संबंधी बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला उम्रह करने गए तब सेक्युलर नहीं थे. मुंतशिर ने सेक्युलरिज्म को विदेशी अवधारणा बताते हुए कहा कि यह शब्द इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़ा था. उन्होंने जोर देकर कहा कि वे हिंदू हैं और जीवन भर हिंदू रहेंगे, न तो सेक्युलर हैं और न ही कभी सेक्युलर होने पर गर्व करेंगे.