सेब के बागानों में लग जाते हैं कीट? बचाने के लिए अपनाएं ये खास उपाय

20 July 2024

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अगर आप सेब की बागवानी करना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

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अलग-अलग सेब की किस्में अलग-अलग समय पर पकती हैं. आमतौर पर सेब सितंबर में पक कर तैयार हो जाता है.

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सेब की खेती के लिए जैविक खाद सबसे बेस्ट है, इस खाद का उपयोग करने से किसानों को काफी फायदा हुआ है.

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सेब की खेती के लिए दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. सेब के पौधों को आमतौर पर नवंबर से मार्च के शुरूआत तक लगा सकते हैं.

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सबसे ज्यादा सेब उत्तर हिमाचल प्रदेश में होता है. कोटगढ़ को भारत का सेब का कटोरा कहा जाता है.

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लेकिन कुछ सेब के बागानों में पत्ता रोग या ब्लाइट रोग के प्रकोप बढ़ने से किसानों को काफी नुकसान होता है.

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कई सेब के बागानों में सेब से संबंधित रोग फायर ब्लाइट हो जाते हैं. इसके अलावा कई बागानों पर एफिड रोग भी हमला कर देते हैं.

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रोगों से पौधों को बचाने के लिए फफूंदनाशकों से छिड़काव करना चाहिए और समय-समय पर सेव के पत्तों पर धब्बे या ब्लाइट की निगरानी करनी चाहिए.

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पौधों को सही तरीके से छंटाई करें और आसपास की जमीन से घास और संक्रमित पौधों को मिट्टी से हटा दें.

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अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा या ब्लाइट रोग और अन्य पत्ती धब्बों  से बचाव के लिए किसान मैन्कोजेब पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

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माइट कीट की रोकथाम के लिए जरूरत पड़ने पर किसानों को फेनाज़ाक्विन पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.

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