पशुओं के पारंपरिक आहार की बढ़ती कीमतें और उपलब्धता की कमी की वजह से पशुपालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
ऐसे में आस-पास पशुओं को खिलाने के लिए बहुत से अपारंपरिक आहार उपलब्ध हैं.
इन आहार का उपयोग करके खर्चा कम कम करने के साथ पशुओं के दुग्ध उत्पादन को भी बढ़ाया जा सकता है.
नीम की खली को 24 घंटे तक पानी में भिगोकर, धोने के बाद सुखाकर पशुओं के चारे में 30 प्रतिशत मिलाकर खिलाया जा सकता है.
अरहर का भूसा गेहूं के भूसे और पुआल की अपेक्षा अधिक पौष्टिक होता है. इसे आप गाय-भैंस को खिलाकर उन्हें स्वस्थ रख सकते हैं.
धान के चोकर यानी चावल की भूसी भी प्रोटीन और ऊर्जा की अच्छी स्त्रोत है. तेल निकला चावल का घूटा बाजार में उपलब्ध है. इसे भी गाय-भैंस को खिला सकते हैं.
ज्वार, अरहर, मूंग, उड़द आदि दालों की फली के छिलकों को भी भूसे की तरह काम में लाया जा सकता है. इसे गाय-भैंस को खिलाकर उनका दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.