पूरे विश्व में प्राकृतिक इंधन की खपत तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में पेट्रोल- डीजल के भंडार को जल्द खत्म होने का खतरा मडराने लगा है.
इसी कड़ी में भारत में पेट्रोल- डीजल के विकल्प के तौर पर इथेनॉल को बढ़ावा दिया जाने लगा है.
खास कर भारत में गन्ने के रस से हर साल करोड़ों लीटर इथेनॉल बनाया जा रहा है. इससे चलने वाली गाड़ियां प्रदूषण करती हैं.
गन्ना इथेनॉल उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
गन्ना , एक प्रकार की चीनी सुकोज से समृद्ध है, जिसे इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए आसानी से बदला जा सकता है.
गन्ने में सुक्रोज की उच्च मात्रा होती है, जो इसे इथेनॉल उत्पादन के लिए एक आदर्श कच्चा माल बनाती है.
इथेनॉल बनाने के लिए सबसे पहले गन्ने की मशीन में पेराई की जाती है.
इसके बाद गन्ने के रस को एक टैंक में कुछ घंटों के लिए एकत्रित कर उसे फर्मेंटेशन के लिए छोड़ दिया जाता है.
फिर टैंक में बिजली से हिट देकर इथेनॉल बनाया जाता है.
खास बात यह है कि आप एक टन गन्ने से 90 लीटर तक एथेनॉल बना सकते हैं. वहीं गन्ने से 110 से 120 किलो तक ही शक्कर का उत्पादन होता है.