रोशा घास, जो एक बहुवर्षीय सुगन्धित पौधा है. इससे सुगन्धित तेल निकाला जाता है.
एक बार रोपाई के बाद रोशा घास की पैदावार 3 से लेकर 6 साल तक मिलती है.
हर तीन से 4 महीने पर इस घास की ऊपर से कटाई कर तेल निकाल कर किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
रोशा घास का पौधा 10° से 45° सेल्सियस तक तापमान सहने की क्षमता रखता है.
सूखा प्रभावित और पूरी तरह से बारिश पर निर्भर इलाकों के लिए भी रोशा घास एक उपयुक्त फसल है.
नर्सरी में पौधों को अप्रैल से मई में तैयार करना चाहिए. जून-जुलाई के महीनों में इन पौधों की रोपाई कर देनी चाहिए.
रोशा घास के तेल का इस्तेमाल इत्र, सौन्दर्य प्रसाधन और मसाले में किया जाता है.
एंटीसेप्टिक, दर्द निवारक, त्वचा रोगों से सम्बन्धित दवाईयों के निर्माण में भी इस घास के तेल का उपयोग किया जाता है.
प्रति हेक्टेयर 200 से 250 लीटर तेल प्राप्त किया जा सकता है.
मार्केट में इस तेल की कीमत अक्सर हजार रुपये लीटर से ऊपर बनी रहती है.