अर्जुन का पेड़ आयुर्वेद में काफी ज्यादा प्रयोग होता है. का इस्तेमाल काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
अर्जुन के पेड़, फल, पत्तियों और जड़ों को कई बीमारियों को दूर करने के लिये प्रयोग करते हैं.
अर्जुन के पेड़ की छाल का उपयोग कई तरह की बीमारियों के खिलाफ किया जाता है.
अर्जुन का पेड़ किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है.
यह 47 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में अच्छा विकास करता है.
हालांकि, इसका पौधा, उपजाऊ जलोढ़-कछारी, बलुई दोमट मिट्टी में काफी तेजी से विकास करता है.
अर्जुन का पेड़ 15- 16 साल में तैयार होता है. इस दौरान इसकी लम्बाई 11-12 मीटर और मोटाई 59-89 सेमी तक हो जाती है.
बाजार में इसकी छाल काफी मंहगी बिकती है. ई-कॉमर्स वेबसाइट पर इसकी कीमत हजारों में पहुंच रही है. इससे बने काढ़े का उपयोग डायबिटीज मरीजों का फायदा पहुंचाता है.
इसके अलावा इस पेड़ की लकड़ियों के फर्नीचर की भी मार्केट में काफी डिमांड है। किसान अर्जुन के पेड़ से लाखों का अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.