जिस मोती की माला आप पहनते हैं, अब उसकी खेती हो रही है.
दुनियाभर में कई किसान इसकी खेती से मोटा पैसा कमा रहे हैं.
मोती, पानी के अंदर शीपनुमा ढांचे के भीतर बाहरी कणों के प्रवेश करने से तैयार होता है.
शीप में इसे तैयार होने में लगभग 14 महीने का समय लग जाता है.
अभी तक मोती को समुद्र की गहराइयों से निकाला जाता था.
जहां ये पूरी तरह प्राकृतिक रूप से तैयार होता था.
हालांकि, बाजार में मोती की बढ़ती मांग के कारण अब इसे तालाबों और टैंकों में तैयार किया जाने लगा है.
आमतौर पर मोती की खेती अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है.
मोती की खेती के लिए शुरुआती लागत लगभग 25000 रुपये आ जाती है. जिसमें किसान भाई 500 सीपियों की एक छोटी इकाई से मोती की खेती शुरू कर सकते है.
आपको बता दें, हर सीप से एक मोती मिलता है, जो बाजार में 300 से लेकर 1500 रुपये तक की कीमत में बेचा जाता है.
यानी पहली उपज निकलने पर किसानों को कम से कम 1,50,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है.
मोती की खेती के लिए सरकार द्वारा CIFA यानी सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर नामक संस्था बनाई गई है, जो किसानों को इसकी खेती के बारे में 15 दिन की फ्री ट्रेनिंग देती है.