कोरोना महामारी के बाद से दुनियाभर में हर्बल प्रॉडक्ट्स और आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ गई है.
हर्बल यानी औषधीय फसलों की खेती में लागत से 3 गुना ज्यादा तक आमदनी हो जाती है.
इसके अलावा, इससे मिट्टी की सेहत भी बेहतर बनी रहती है.
ऐसी ही मोटी कमाई वाली औषधीय फसलों में शामिल है मेंथा की खेती.
वैसे तो इसकी खेती भारत के कई इलाकों में की जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं.
मेंथा को मिंट के नाम से भी जानते हैं. इसका इस्तेमाल दवायें, तेल, ब्यूटी प्रॉडक्ट्स, टूथपेस्ट और कैंडी बनाने के लिये किया जाता है.
जानकारी के लिये बता दें कि भारत मेंथा के तेल का एक बड़ा उत्पादक देश है.
यहां से मेंथा का तेल निकालकर दूसरे देशों में भी निर्यात किया जाता है.
मेंथा की खेती के लिये अच्छी सिंचाई की जरूरत होती है.
सही समय पर बोई गई मेंथा की फसल तीन महिने में तैयार हो जाती है.
एक एकड़ में मेंथा की फसल लगाने में 20,000 से 25,000 तक का खर्च आ जाता है.
बाजार में मेंथा का भाव 1000 से 1500 रुपये किलो के आस-पास रहता है.
जिसके चलते कटाई के बाद मेंथा यानी मिंट की फसल से 1 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है.
3 महिने में 3 गुना तक कमाकर देने वाली इस फसल को किसान हरा सोना भी कहते हैं.