भारत में रबी फसल का सबसे खतरनाक खरपतवार फालारिस माइनर यानी मंडूसी है.
इसे गुल्ली डंडा, गेहूं का मामा और कनकी भी कहा जाता है.
गेहूं के खेत में फालारिस माइनर यानी मंडूसी के पौधों की पहचान काफी मुश्किल होती है.
हालांकि, ध्यान से देखने पर पता चलेगा कि मंडूसी के पौधे सामान्यतः गेहूं के मुकाबले हल्के रंग के होते है.
इसके अलावा मंडूसी का तना जमीन के पास से लाल रंग का होता है. तना तोड़ने या काटने पर इसके पत्तों, तने और जड़ों से भी लाल रंग का रस निकलता है.
वहीं, गेहूं के पौधे से निकलने वाला रस रंग विहीन होता है.
फालारिस माइनर खेतों में ना उगे उसके लिए खरपतवार बीज रहित गेहूं की बुवाई करें.
गेहूं की बुवाई के दौरान लाइन से लाइन की दूरी 18 सेंटीमीटर से कम रखें. इसके अलावा, खाद को बीज के 2-3 सेंटी मीटर नीचे डालें.
मेढ़ पर बिजाई करने से भी मंडूसी का प्रकोप कम होता है.
मंडूसी के नियंत्रण के लिए गेहूं उगने से पहले इन वीडीसाइड दवाओं का प्रयोग करके मंडूसी खरपतवार का नियंत्रण किया जा सकता है.
इसमें मुख्य रूप से प्यूमासुपर 10 ई.सी. (फिनोक्साप्रोपइथाईल) के 800-1200 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 250-300 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.