मछलियों को इन बीमारियों से बचाएं मत्स्य पालक, वर्ना हो जाएगा भारी नुकसान

01 October 2023

Credit: आजतक एग्रीकल्चर डेस्क

तालाब में मछलियों की मौत से मत्स्य पालकों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है.  

तालाब में सफाई और चूना की व्यवस्था सही तरीके से होने पर मछलियों को बीमारियों से बचाया जा सकता है.

हालांकि, कई बार मछली पालक लापरवाही कर जाते हैं. तालाब की नियमित सफाई नहीं करते हैं. 

ऐसे में गंदगी और बीमारियों के चलते मछलियों की मौत हो जाती है.

आइए मछलियों में होने वाली कुछ बीमारियों और उसके उपचार के बारे जानते हैं, जिससे आप अपनी मछलियों को मौत से बचा सकते हैं.

अगर मछलियों के शरीर पर कोई चोट या रगड़ लग जाती है तो उस पर रुई की तरह फफूंद लग जाती है जिससे मछलियां सुस्त होकर पानी की सतह पर आ जाती हैं. 

बीमार मछली को 5 से 10 मिनट तक नमक के घोल, नीला थोथा का घोल और पोटेशियम परमैग्नेट के घोल से नहलाएं.

कई बार मछलियों की आंखें खराब हो जाती हैं. बीमार मछलियों की आंखों में 1 से 2 प्रतिशत सिल्वर नाइट्रेट के घोल से धोकर मछली को तालाब में छोड़ दें.

श्वेता तिवारी 

लार्नियां कीट मछली के शरीर से चिपक जाती हैं और मछली के शरीर पर घाव बना देता हैं. तालाब में पोटैशियम परमैगनेट का प्रयोग करने से यह बीमारी समाप्त हो जाती है.

फिनराट नाम की बीमारी में मछलियों के पंख गल जाते हैं. बीमार मछलियों को नीला थोथा के घोल में एक- दो मिनट तक नहलाएं.