26 Aug 2024
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दलहन की खेती करने वाले किसानों को अच्छी पैदावार के लिए फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
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बारिश के मौसम में दलहन के खेत में कई दिनों तक पानी भरने से पौधों में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
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फसल को बचाने के लिए किसानों के लिए कृषि विभाग की ओर से कुछ उपाय बताए गए हैं. तो चलिए जानते हैं.
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मूंग और उड़द की फसल में दो कीट रोग पीला चितकबरी या मोजेक रोग और सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का खतरा बढ़ जाता है.
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कृषि विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी के अनुसार, उड़द और मूंग फसल में पीला चितवर्ण रोग जिसे पीला चितकबरी या मोजेक रोग का खतरा रहता है.
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इस रोग के प्रकोप से पौधे की पत्तियों पर पीले सुनहरे चकत्ते पड़ जाते हैं. रोग के अधिक बढ़ने पर पूरी पत्ती पीली पड़ जाती हैं.
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पीला चितकबरी या मोजेक रोग से बचने के लिए बीज की बुवाई जुलाई के पहले हफ्ते तक कतारों में करनी चाहिए.
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शुरुआती समय में ही पीला चितकबरी या मोजेक रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए.
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पीला मोजेक रोग से फसल को बचाने के लिए रोग ग्रसित पौधों को उखाड़ कर खेत से दूर फेंकना चाहिए या जला देना चाहिए.
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किसान फसल को बचाने के लिए डायमिथोएट 30 EC कीटनाशक 1 ली प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करीब 600 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करें.
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ज्यादा बारिश वाले राज्यों में मूंग और उड़द फसल में सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का प्रकोप देखा जा रहा है. सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग से फसल को बचाने के लिए किसान ध्यान दें कि खेत में पौधे घने नहीं होने चाहिए.
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इस रोग के लक्षण दिखने पर किसान मैंकोजेब 75 डब्लूपी कीटनाशक को 2.5 ग्राम लीटर या फिर कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यूपी 1 ग्राम की कीटनाशक को प्रति लीटर पानी में घोल 2-3 बार खेत में छिड़काव कर लें.
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