07 Sep 2024
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अगर आप खरीफ फसल की खेती कर रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए.
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इन दिनों खरीफ फसलों में खासकर कपास, मूंग, ग्वार और अन्य फसलों में सापेक्षिक आर्द्रता, नमी और तापक्रम में बढ़ोतरी के चलते विभिन्न प्रकार की बीमारियां दिखाई दे रही हैं.
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ऐसे में ग्वार उगाने वाले किसानों के लिए बड़ा अपडेट है. राजस्थान कृषि विभाग ने खरीफ फसल में रोगों को लेकर सुझाव जारी किए हैं.
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राजस्थान कृषि विभाग ने ग्वार की फसल को फंगस रोग से बचाने के लिए कीटनाशी रसायनों और फफूंदनाशी दवाओं का छिड़काव करने की सलाह दी है.
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कई हिस्सों में ग्वार की फसल में जड़ गलन और फिजियोलॉजिकल विल्ट जैसे रोगों का प्रकोप देखने को मिल रहे हैं.
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इन रोगों को दूर करने के लिए ज्यादा बारिश की स्थिति में पानी को क्यारी से सिंचाई करके खेतों से बाहर निकालना चाहिए.
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जब पानी सूख जाए तो ग्वार फसल में सिलर चलाना चाहिए. ऐसा करने से पौधों के जड़ क्षेत्र में हवा का प्रवाह ठीक होगा और रोग की समस्या दूर हो जाएगी.
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वहीं, अगर ग्वार फसल में जड़ गलन रोग पर नियंत्रण पाना है तो इसके लिए कार्बेन्डाजिम 50% का 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज उपचार बहुत जरूरी है.
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भूमि के उपचार के लिए ट्राइकोडर्मा 2 किलोग्राम/100 किलोग्राम गोबर की खाद में प्रति हेक्टेयरA की दर से उपयोग करना चाहिए.
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र्स्कोस्पोरा (फफूंद रोग) पर रोकथाम के लिए कवकनाशी कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
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मूंग में इस समय जीवाणु झुलसा नामक रोग देखने को मिल रहा है. इस रोग में पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं.
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इसे रोकने के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 5 ग्राम और कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 300 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी में सॉल्यूशन बनाकर प्रति बीघा छिड़काव करना चाहिए.
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