29 Nov 2024
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नवंबर-दिसंबर में रबी फसल की खेती की जाती है. इस समय किसान लहसून की खेती कर तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं.
लहसून की खेती करने वाले किसान कुछ बातों का ध्यान रख अच्छी कमाई कर सकते हैं.
लहसुन की खेती के लिए ठंडी और सम शुष्क जलवायु उत्तम होती है. मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए. अच्छी जल निकासी वाली दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी आदर्श मानी जाती है.
उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चुनाव करें. बीज को बोने से पहले उन्हें गर्म पानी में भिगोकर लगाने से बिमारियों का खतरा कम होता है और अंकुरण दर में सुधार होता है.
नियमित रूप से जैविक खाद का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है. नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का सही अनुपात में सेवन लहसुन की वृद्धि के लिए आवश्यक है.
अगर आप लहसुन की खेती कर रहे हैं तो पौध रोपाई से पहले ही सड़े हुए गोबर को खाद के रूप में मिट्टी के साथ मिलाना होगा.
लहसुन की फसल को संतुलित और समय पर सिंचाई की आवश्यकता होती है. फसल की स्थिति और मौसम के अनुसार सिंचाई करें.
कीट और रोग प्रबंधन के लिए जैविक विधियों का इस्तेमाल करें. जैसे नीम का तेल या अन्य जैविक खाद का इस्तेमाल करें.
अगर फसल में पर्याप्त यूरिया नहीं दी गई है तो सिंचाई या निराई-गुड़ाई के बाद यूरिया जरूर दें. अगर खेत में पानी लगा हुआ है, तो तुरंत उसे निकालने का बंदोबस्त करें.
डाईथेन एम 45 की दो ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएं. इस घोल को 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें. रोगर 1 मि.ली./लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो बार छिड़काव करें.
इसके अलावा, फसल में घुलनशील नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश 80 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करें. इस छिड़काव का 15 दिनों में दोबारा दोहराएं.