गाय और भैंसों पर ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन उपयोग कानूनन अपराध है.
इस इंजेक्शन का इस्तेमाल करने से दूध जहरीला और सेहत के लिए हानिकारक हो जाता है.
इसका उपयोग करने पर पशुपालकों को जेल की हवा तक खानी पड़ सकती है.
आईपीसी की धारा-429 और Prevention to Cruelty to Animal Act,1960 के सेक्शन-12 में इसे दंडनीय अपराध कहा गया है.
इसके बावजूद गाय-भैंस से ज्यादा मात्रा में दूध हासिल करने के लिए कई पशुपालक गैर कानूनी तरीके से ऑक्सिटोसीन इंजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं.
दूध उतारने के लिए आक्सीटोसिन का इस्तेमाल से पशुओं की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है और पशु कमजोर हो जाते हैं.
उनकी गर्भधारण की क्षमता भी प्रभावित होती है. वह बांझपन की शिकार हो सकती हैं.
जिन गाय-भैंसों पर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाया जाता है उनका दूध पीना इंसानों के लिए भी खतरनाक हो सकता है.
इस दूध में सोडियम व नमक की मात्रा बढ़ जाती है.
इस दूध के सेवन से छोटे बच्चे यानी 5 साल तक बच्चों का पाचन तंत्र खराब हो सकता है और आंखें कमजोर हो सकती हैं.
5 से 15 साल के बच्चों का अप्रत्याशित विकास, लड़कियों की किशोरावस्था के दौरान युवावस्था के लक्षण दिख सकते हैं.
15 से 30 साल युवाओं में हार्मोनल असंतुलन का खतरा हो सकता है.
30 से 45 साल महिलाओं में गर्भपात, स्तन कैंसर का खतरा, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है.
45 से अधिक उम्र के लोगों की पाचन तंत्र पर खराब हो सकता है और एसिडिटी हो सकती है.