देश के भीतर खरीफ सीजन के अंतर्गत सबसे बड़े क्षेत्रफल पर धान की खेती होती है.
जून महीने से ही धान की फसल खेतों में लगनी शुरू हो जाती है.
धान की फसल में कई तरह की बीमारियां भी लगती हैं, जिनमें से एक कंडुवा रोग भी है.
धान के पौधे में कंडुवा रोग का खतरा वातावरण में नमी बढ़ने के साथ बढ़ जाता है.
यह रोग वैसे तो धान की बालियां लगने के बाद दिखाई पड़ता है. इस रोग के लगने का समय सितंबर से लेकर अक्टूबर मध्य तक माना जाता है.
कंडुवा रोग का असर बढ़ने की वजह से धान के दानों ने फफूद के चलते गांठ हो जाती है.
इसके चलते दाने कम बनते हैं. इस रूप के चलते धान की बालियां गहरे रंग की हो जाती है. उसके भीतर दाने फूल कर काले रंग के हो जाते हैं
हाथ से छूने पर बालियां काले रंग के पाउडर जैसे रोग उंगुलियों पर लग जाते हैं. इस रोग के चलते उपज में 10 से 25 फ़ीसदी तक गिरावट आती है.
इस रोग के लक्षण दिखाई देने के बाद सबसे पहले खेत पानी निकाल देना चाहिए .