21 Nov 2024
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आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. इसकी खेती से आप साल भर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
आलू की कुफरी जामुनिया काफी अच्छी किस्मों में गिनी जाती है, जो कम समय में अच्छी फसल देने वाली फसल है.
मध्यम अवधि और अधिक उपज देने वाली नई उन्नत प्रजाति है. यह बुवाई से लेकर कटाई तक लगभग 90 दिन में ही तैयार हो जाती है.
इसकी औसत उपज 320-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. यह बायोफोर्टिफाइड प्रजाति है. इसलिए इसमें पोषण की मात्रा ज्यादा है.
विशेष रूप से, कुफरी जामुनिया में एंथोसायनिन उच्च मात्रा में होता है, जो इसके जीवंत बैंगनी गूदे में पाए जाने वाला शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हैं.
जुताई के समय खेत में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद 15 से 30 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिला देनी चाहिए. रासायनिक खादों का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरा शक्ति, फसलचक्र और प्रजाति पर निर्भर होता है.
आलू की बेहतर फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 150 से 180 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-80 किलोग्राम फॉस्फोरस और 80-100 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें.
फॉस्फोरस, पोटाश और नाइट्रोजन की मात्रा बुवाई के समय ही खेत में डालनी होती है. बची हुई नाइट्रोजन को मिट्टी चढ़ाते समय खेत में डाला जाता है.
एक हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की बुवाई के लिए लगभग 25-30 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है. खेत में उर्वरकों के इस्तेमाल के बाद ऊपरी सतह को खोदकर उसमें बीज डालें और उसके ऊपर भुरभुरी मिट्टी डाल दें.
लगभग 70 से 90 दिनों में आलू के फसल तैयार हो जाएंगे, इसे आप जमीन से निकाल सकते हैं.