पशु बीमार है कि नहीं ज्यादातर पशुपालक पता नहीं कर पाते हैं.
जब बीमारी बड़ा रुप ले लेती है तो पशुपालक को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.
अगर पशुपालक कुछ बातों को ध्यान दें तो वो इतना पता तो कर ही सकते हैं कि उसका पशु बीमार है कि नहीं.
अगर पशु बीमार है तो सबसे पहले दूध उत्पादन पर असर पड़ता है. पशु गोबर पतला या फिर कड़ा करने लगता है.
बीमार पशु के कान सीधे तने हुए न हो कर लटक जाते हैं. पशु के नाक के आसपास पानी की छोटी छोटी बूंदे बनना बंद हो जाती है.
पेशाब में हल्की बदबू आने लगती है. पशु सांसें तेज लेता है या फिर बहुत धीमी हो जाती है. पशु के कान ठंडे पड़ जाते हैं.
यदि पशु अपने सीगों को दीवार पर बार बार भड़कता हे तो उसके सीगो में कीड़े पड़ने की संभावना होती है.
पशु झुंड की बजाय अलग-अलग या पीछे-पीछे चलता है. उसके बालों की चमक खो जाती है.
अगर पशु जुगाली कम कर देता है या फिर बंद कर देता है. दुधारू पशु के दूध में अचानक कमी आ जाती है. जल्दी थक जाता है और बैठ जाता है.