खेती किसानी में फसलों से बेहतरीन उत्पादन लेने में पोषक तत्व अहम भूमिका निभाते हैं
फसलों की अच्छी पैदावार में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर, आयरन, मैग्नीज, जिंक, बोरान, तांबा और मोलीब्डेनम आदि पोषक तत्व जरूरी होते हैं.
इन्हीं पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधों में विकृतियां आने लगती हैं और पैदावार कम हो जाती है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यूरिया, डीएपी और एनपीके का आवश्यकता से अधिक इस्तेमाल करने पर भी प्राकृतिक पोषक तत्वों में कमी आ जाती है.
इसका पता लगाने के लिए विशेषज्ञ मिट्टी की जांच करवाने की सलाह देते हैं.
अक्सर खेत में खड़ी फसलों में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है, जिसके कारण पौधों के पुराने पत्तों में पीलापन, पौधों में कम पत्तियों का उगना और पौधों का धीमी गति से विकास जैसी समस्या आने लगती हैं.
फास्फोरस की कमी के कारण पौधों का रंग गहरा हरा या नीला पड़ने लगता है. छोटे पौधों में फास्फोरस की कमी के कारण कल्ले भी कम निकलते और फूल-कलियों की कम हो जाती है.
लंबी अवधि वाली फसलों में आसानी से पोटेशियम की कमी के लक्षण देखे जा सकते हैं. इसके कारण पुराने पत्तों में पीलापन और झुलसापन आने लगता है.
फसल में कैल्शियम की कमी के कारण पौधों से निकलने वाली नई पत्तियां अजीब आकार-विकार की हो जाती हैं. इनमें पीले रंग की विकृतियां और झुलसापन आने लगता है.
पौधों में नाइट्रोजन और सल्फर की कमी के लक्षण सामान्य होते हैं, जिसके कारण पौधों आकार छोटा और पत्तियां पीली पढ़ने लगती हैं. यह लक्षण पौधों से निकलने वाली नई पत्तियों में जल्दी नजर आते हैं.