पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स), इसे बकरियों की महामारी या बकरी प्लेग भी कहा जाता है.
इस बीमारी से बकरियों और भेड़ में बुखार, मुंह में घाव, दस्त, निमोनिया और बकरियों की मौत तक हो जाती है.
इस बीमारी का प्रभाव सबसे ज्यादा मेमनों और कुपोषित भेड़-बकरियों में होता है.
इस बीमारी से हर साल हजारों बकरियों की मौत हो जाती है.
यह एक विषाणु जनित बीमारी है. यह एक बकरी से दूसरे बकरियों में तेजी से फैलता है.
इस बीमारी में बकरियों में तेज बुखार (40 से 42 डिग्री सेल्सियस) बहुत ही आम है.
दो से तीन दिन के बाद मुंह में छाले और प्लाक उत्पन्न होने लगते हैं.
इसमें आंख और नाक से पानी आना, दस्त, श्वेत कोशिकाओं की अल्पता, श्वास लेने में कष्ट इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं.
नाक व मुख से आने वाले लसलसे से पदार्थ में पस आने लगती है जिससे बदबूदार दुर्गन्ध आती है.
इसके बाद आँखों का चिपचिपा या पीपदार स्राव सूखने पर आंखों और नाक को एक परत से ढक लेता है, जिससे बकरियों को आंख खोलने और सांस लेने में तकलीफ होती है.
संक्रमण के एक सप्ताह के भीतर ही बीमार बकरी की मृत्यु हो जाती है।
इस बीमारी से बकरियों को बचाने के लिए उन्हें पोषक, स्वच्छ, मुलायम, नम और स्वादिष्ट चारा खिलाना चाहिए.
पीपीआर से महामारी फैलने पर तुरंत ही नजदीकी सरकारी पशु-चिकित्सालय में सूचना देनी चाहिए.
मृत बकरियों को सम्पूर्ण रूप से जला कर नष्ट करना चाहिए. स्वस्थ बकरियों का तुरंत टीकाकरण कराना चाहिए.