धान के पौधों में बालियां आने लगी हैं. इसके साथ ही इस फसल पर रोगों की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं.
धान की फसल पर झुलसा रोग की संभावनाएं ज्यादा बढ़ गई है.
धान के पौधे की छोटी अवस्था से लेकर परिपक्व अवस्था तक यह रोग कभी भी हो सकता है.
इसमें पत्तियों के किनारे ऊपरी भाग से शुरू होकर बीच तक सूखने लगते हैं.
सूखे पीले पत्ते के साथ-साथ राख के रंग के चकत्ते भी दिखाई देते हैं. बालियां दानारहित रह जाती है.
इसकी रोकथाम के लिए 74 ग्राम एग्रीमाइसीन-100 और 500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (फाइटोलान)/ ब्लाइटॉक्स-50/क्यूप्राविट को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से 3-4 बार 10 दिनों के अंतराल से छिड़काव करें.
इस रोग के लगने पर नाइट्रोजन की मात्रा कम कर देनी चाहिए.