खेतों में अपने आप उग आने वाली गाजर घास से फसल को बहुत नुकसान होता है.
इस घास से फसलों के साथ-साथ इंसानों को भी नुकसान होता है.
गाजर घास से फसल तो खराब होती है. इसके अलावा इसके संपर्क में आने वाले किसानों में एग्जिमा, एलर्जी, बुखार और दमा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
इस घास के प्रकोप में आने पर फसल के अंकुरण से लेकर पौधों का विकास तक होना मुश्किल हो जाता है.
अगर इस घास को पशु खा लें तो उनका दूध उत्पादन कम हो जाता है. वहीं फसल उत्पादन में 40 प्रतिशत गिरावट आती है.
विशेषज्ञ गाजर घास को रोकने के लिए सिमाजिन, एट्राजिन, एलाक्लोर, डाइयूरोन सल्फेट और सोडियम क्लोराइड आदि के छिड़काव की सलाह देते हैं.
जैविक समाधान के रूप में एक एकड़ के लिए बीटल पालने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा केशिया टोरा, गेंदा, टेफ्रोशिया पर्पूरिया, जंगली चौलाई जैसे पौधों को उगाकर भी इस घास को खत्म किया जा सकता है.