यूं तो ट्यूलिप के फूलों के लिए श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन मशहूर है. इस गार्डन को खेलने से पहले सालभर कड़ी मशक्कत की जाती है.
लेकिन करगिल के द्रास इलाके में लाखों की तादाद में ट्यूलिप के फूल अपने आप उग जाते हैं.
ट्यूलिप का फूल बेहद नाजुक फूल होता है. जिसे उगाने और देखभाल करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
ये फूल तीन से पांच सप्ताह तक ही खिला रहता है. इसके लिए ग्राउंड स्टाफ साल भर कड़ी मेहनत करता है.
मार्च-अप्रैल के महीने में ये फूल खिलते हैं, तभी श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन खोला जाता है. मई और जून में इसकी कटाई की जाती है.
अक्टूबर में फिर मिट्टी की खुदाई और खाद डालने का काम किया जाता है और नवंबर में ट्यूलिप लगाए जाते हैं.
लेकिन करगिल के द्रास इलाके में ये फूल खुद उग जाते हैं, जिसे दुनिया की सबसे नायाब फूलों की वादी कहा जाता है.