31 Aug 2024
उत्तर प्रदेश और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन दिनों गन्ने की फसल में पत्तियों के पीले पड़ने और सूखने की समस्या से जूझ रहे हैं, क्योंकि इससे गन्ने की उपज और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है.
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आज हम आपको बताएंगे कि गन्ने की फसल को पीला पड़ने और सूखने से बचाने के लिए क्या उपाय करना चाहिए.
विशेषज्ञों के मुताबिक, गन्ने की फसल के पीले पड़ने और सूखने की वजह जड़ बेधक कीट, वाइरल पीला रोग और उकठा रोग हो सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो गन्ने की पत्तियों का पीला पड़ना और सूखना जड़ बेधक कीट की वजह से हो सकता है. यह कीट गन्ने की जड़ों और तनों को नुकसान पहुंचाता है और जमीन के अंदर से तनों में छेद करता है.
अगर आपको गन्ने की फसल में जड़ बेधक कीट दिखाई दे तो इमिडाक्लोप्रिड 200 मिलीलीटर को 400 लीटर पानी में मिलाकर गन्ने की जड़ों के पास ड्रेचिंग करें. वहीं जैविक नियंत्रण के लिए ट्राइकाग्रामा किलोनिसिस बेनिस कार्ड का उपयोग किया जा सकता है.
इसके अलावा गन्ने की फसल में पीलापन और सूखापन उकठा रोग की वजह से हो सकता है, जिसमें कीट गन्ने को खोखला कर देता है. इससे बचाव के लिए प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें और सल्फर व जिंक का छिड़काव करें.
गन्ने की फसल को उकठा रोग से बचाने के लिए गन्ने की जड़ों में कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करें और 15 दिनों के अंतराल पर यही प्रक्रिया दोहराएं. ट्राइकोडर्मा स्पीसीज को 10 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 100-200 किग्रा कम्पोस्ट खाद के साथ मिलाकर खेत में डालें.
येलो लीफ वायरल भी गन्ने की फसल में पीलेपन और सूखेपन का जिम्मेदार हो सकता है. इससे बचाव के लिए मैलाथियान (0.1%) या डाइमेक्रोन (0.2%) का प्रयोग करें. कार्बोफ्यूरान या फोरेट का मिट्टी में प्रयोग करें और सूखी पत्तियों को हटाकर मैलाथियान का छिड़काव करें.