भगवान शिव के नटराज स्वरूप के पैरों के नीचे क्यों दबे हैं राक्षस, जानें आध्यात्मिक महत्व 

23 May 2024

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नटराज का नृत्य, जिसे तांडव कहा जाता है, कोई साधारण प्रदर्शन नहीं है! यह एक ब्रह्मांडीय तमाशा है, जो शिव के पांच प्रमुख कार्यों का प्रतिनिधित्व करता है.

नटराज केवल एक आकर्षक मूर्ति नहीं है, वह सैकड़ों वर्षों से कलाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं. मूर्तियों और चित्रों से लेकर आकर्षक कहानियों तक, नटराज की छवि भारतीय कला में समाहित हो चुकी है. 

भगवान शिव के नटराज स्वरूप में उनके पैरों के नीचे दबे राक्षस के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का वर्णन अत्यंत गूढ़ और गहन है. 

नटराज शिव का यह रूप तांडव नृत्य को प्रदर्शित करता है, जो सृष्टि, संरक्षण और संहार के चक्र का प्रतीक है.

इस रूप में भगवान शिव के दाहिने पैर के नीचे अपस्मार पुरुष, जो अविद्या और अज्ञान का प्रतीक है, दबा हुआ दिखाई देता है. राक्षस अपस्मार का दबना यह दर्शाता है कि भगवान शिव की शक्ति और ज्ञान के सामने अज्ञान पराजित हो जाता है. 

शिव का नटराज रूप इस बात का प्रतीक है कि ज्ञान और प्रकाश के माध्यम से जीवन में अज्ञान और अंधकार पर विजय प्राप्त की जा सकती है.

शिव के इस अद्भुत रूप की हर मुद्रा और हर अंग का अपना विशेष महत्व है. उनकी लहराती जटाएं, जो चारों दिशाओं में फैल रही हैं, ब्रह्मांडीय विस्तार और अनंत ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं.

उनके एक हाथ में डमरू है, जो सृष्टि की नाद (ध्वनि) का प्रतीक है, जबकि दूसरे हाथ में अग्नि है, जो विनाश और पुनर्जन्म का प्रतीक है.

भगवान शिव का यह नटराज स्वरूप हमें यह सिखाता है कि जीवन में नियमित रूप से आत्म-विश्लेषण और ध्यान के माध्यम से हम अज्ञान के बंधनों से मुक्त हो सकते हैं और एक सशक्त और प्रकाशमय जीवन की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं.

इस प्रकार, राक्षस का दबना केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि जीवन में उत्साह, ऊर्जा और आशा का मार्गदर्शन भी करता है.