15 November 2024
BY: Ashwin Satyadev
जब भी बात कारों की होती है तो एक शब्द 'चेसिस' (Chassis) का जिक्र आपने कई बार सुना होगा. आमतौर पर चेसिस जिसका असल उच्चारण (चा-सी) है वो एक तरह का फ्रेम होता है.
जाहिर है कि इसका मजबूत होना बेहद जरूरी है. चेसिस का आविष्कार 1800 के दशक के अंत में हुआ था और ऑटोमोटिव सोर्सों का अनुमान है कि यह 1896 के आसपास पहली बार वजूद में आया.
आज हम आपको चेसिस के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे. मसलन ये क्या होता है, किसी भी वाहन में इसकी क्या महत्ता है और ये कितने तरह का होता है.
तकनीकी रूप से देखा जाए तो चेसिस कार का कंकाल (Skeleton) होता है. ये ठीक वैसे ही होता है जैसे मानव कंकाल.
जैसे मानव शरीर में कंकाल के ढांचे के इर्द-गिर्द मांसपेशियों से शरीर की संरचना होती है. वैसे ही चेसिस के चारों तरफ अलग-अलग पार्ट्स को असेंबल कर वाहन की बॉडी तैयार की जाती है.
चेसिस स्टील से बना होता है और इसमें टायर, कार इंजन, एक्सल सिस्टम, कार का ट्रांसमिशन, स्टीयरिंग सिस्टम, ब्रेक और सस्पेंशन जैसे पुर्जे शामिल किए जाते हैं.
चेसिस "स्केलटन" का वह हिस्सा है जो कार का भार उठाता है और उसका भार वहन करता है. दूसरी ओर फ्रेम (Frame) कार का बाकी हिस्सा है जो चेसिस पर फिट किया जाता है.
बैकबोन चेसिस फ्रेम एक बैकबोन (रीढ़ की हड्डी) की तरह दिखता है और पूरे वाहन को एक साथ रखता है. यह एक एच-शेप (H-Shape) का फ्रेम होता है.
इसका डिज़ाइन काफी हद तक किसी सीढ़ी की तरह होता है. यानी कि इसमें दो लंबे फ्रेम या बीम (वर्टिकल) के बीच में कई छोटे-छोट (हॉरिजॉन्टल) बीम लगाए जाते हैं.
इस प्रकार के चेसिस फ्रेम में, कार की बॉडी और फ्रेम को एक साथ मिलाकर एक सिंगल यूनिट बनाया जाता है. वजन में हल्का होने के चलते आजकल इसका खूब इस्तेमाल होता है.
ट्यूबलर फ्रेम में मूलरूप से खोखले ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है. जो हल्के फ्रेम की बॉडी बनाते हैं. इसे विशेष रूप से रेस कार और स्पोर्ट्स कार जैसे परफॉर्मेंस व्हीकल में इस्तेमाल किया जाता है.
टाटा टिएगो, स्विफ्ट, अल्ट्रोज और वैगनआर मोनोकॉक चेसिस पर बेस्ड हैं. थार, स्कॉर्पियो और टोयोटा फॉर्च्यूनर लैडर फ्रेम पर बनाई गई हैं.