By: Aajtak Auto
आज के समय में कारों में मॉडिफिकेशन का चलन खूब देखा जाता है, लेकिन मॉडिफिकेशन का ये शौक आपके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है.
भारत में वाहनों के मॉडिफिकेशन के लिए कुछ ख़ास नियम बनाए गए हैं, और उन नियमों का उल्लंघन करने पर भारी चालान का भी प्रावधान है.
आज हम आपको ऐसे ही कुछ (Illegal Modification) मॉडिफिकेशन के बारे में बताएंगे जो कि कानूनी रूप से अवैध हैं. देखें आगे की स्लाइड
ऑफ्टर मॉर्केट अलॉय में मानकों की अनदेखी होने की संभावना होती है. ऐसे में यदि आप वाहन के साइज से बड़े अलॉय का इस्तेमाल करते हैं तो इसे कानूनी रूप से वैध नहीं माना जाता है.
मोटर व्हीकल एक्ट नियम 39/192 के अनुसार कार, बाइक या अन्य किसी भी तरह के वाहन में यदि प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल किया जाता है तो यह ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है.
रंगीन हेडलाइट्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. हाइलोजन लाइट से सफेद LED लाइट में अपग्रेड किया जा सकता है, लेकिन कार की हेडलाइट में लाल, हरी या नीली रोशनी का विकल्प नहीं चुन सकते.
MVA के नियम 120 के अनुसार, वाहन के एग्जॉस्ट (साइलेंसर) से एक्स्ट्रा साउंड के लिए मॉडिफिकेशन करना गैरकानूनी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे ध्वनि और वायु प्रदूषण अधिक होता है.
कार के विंडस्क्रीन और रियर विंडो के शीशे की न्यूनतम दृश्यता (Visibility) 70% होनी चाहिए. साइड विंडो के लिए न्यूनतम दृश्यता 50% आवश्यक है. इससे कम विजिबिलिटी होने पर आपको चालान का सामना करना पड़ सकता है.
वाहन में फैंसी और डिज़ाइनर नंबर प्लेट का इस्तेमाल करना गैरकानूनी है. मोटर व्हीकल एक्ट के तहत, सभी नई वाहनों में हाई-सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट होने चाहिए.