10 May 2024
BY: Aaj TaK Auto
भारत में सड़कों का जाल तेजी से बढ़ रहा है. सड़कों को लेकर आमतौर पर लोगों की सबसे बड़ी शिकायत उनके गढ्ढों (Pothholes) को लेकर रहती है.
Pic: Sameer Shanbagh/India Today
ये गढ्ढे न केवल ड्राइविंग का मजा किरकिरा करते हैं बल्कि कई बार इससे सड़क हादसों के होने का भी खतरा रहता है.
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आधिकारिक डाटा के अनुसार, साल 2022 में भारत में केवल गढ्ढों के चलते 4,500 सड़क हादसे हुए थें. जिनमें 1,800 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी.
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सड़क के ये गढ्ढे न केवल लोगों के जान के दुश्मन बनते हैं बल्कि इससे अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित होती है. हर साल इन्हें ठीक कराने में सड़क निर्माण का बजट बढ़ता जाता है.
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लेकिन बहुत जल्द ही इससे छुटकारा मिलने वाला है. दरअसल, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) एक नई तकनीक पर काम कर रही है.
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इस नई तकनीक के चलते सड़कों का निर्माण कुछ इस तरह से किया जाएगा, जिससे ये गढ्ढे खुद ही ठीक हो जाएंगे. तो आइये जानें क्या है ये टेक्नोलॉजी.
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डीडी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, NHAI सड़कों के निर्माण में सेल्फ हीलिंग मैटेरियल्स के इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा है. यानी सड़कें खुद की डॉक्टर बनेंगी.
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NHAI का कहना है कि, इस नई तकनीक को डेवलप करने के लिए एक विशेष प्रकार के डामर का इस्तेमाल किया जाएगा.
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इसके अलावा सड़क निर्माण के दौरान स्टील के पतले रेशे डाले जाएंगे. जो सड़क को मजबूती देने का काम करेंगे. इस प्रक्रिया में बिटुमिन (एक तरह का डामर) का इस्तेमाल किया जाएगा.
जब सड़क पर कोई टूट-फूट होगी तो यह बिटुमिन गर्म होकर फैलना शुरू हो जाएगा. जिसके बाद यह कंक्रीट के साथ मिलकर स्टीलनुमा रेशों को जोड़ने का काम करेगा.
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इससे सड़के के छोटे-मोटे गढ्ढे खुद ही ठीक हो जाएंगे. हालांकि अभी इस तकनीक पर काम किया जा रहा है और इसका इस्तेमाल भविष्य में सड़क निर्माण में किया जाएगा.
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