17 March 2024
BY: Aaj Tak Auto
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक नई इलेक्ट्रिक वाहन (EV Policy) नीति की घोषणा की है, जिससे टेस्ला की भारत में एंट्री की राह और भी आसान हो जाएगी.
जानकार मोदी सरकार के इस इलेक्ट्रिक वाहन निति को गेम चेंजर बता रहे हैं. इससे वाहन निर्माताओं को EV निर्माण में जहां कुछ सहूलियतें मिलेंगे वहीं Tesla को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है.
नई नीति में, सरकार उन कंपनियों के लिए कुछ इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात कर (Import Duty) कम करेगी जो देश में घरेलू व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग करेंगे.
लेकिन इसके लिए शर्त ये है कि वाहन निर्माता को घरेलू मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्लांट लगाने के अलावा कम से कम 4150 करोड़ रुपये (500 मिलियन डॉलर) का निवेश करना होगा.
इन शर्तों को पूरा करने वाली कंपनियों को सालाना 8,000 इलेक्ट्रिक वाहन (EV) आयात करने की अनुमति दी जाएगी, जिसमें 35,000 डॉलर और उससे अधिक कीमत वाले वाहनों के लिए 15 प्रतिशत कम आयात शुल्क देना होगा.
बता दें कि, भारत में आयातित कारों पर उनके मूल्य के आधार पर 70 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक आयात कर लगाया जाता है. जानिए इस पॉलिसी की ख़ास बातें:
इच्छुक कंपनियों को न्यूनतम 4150 करोड़ रुपये (500 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश करना होगा, हालाँकि, अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है.
भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट 3 साल के भीतर स्थापित किया जाना चाहिए और EV का कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू करते हुए अधिकतम 5 वर्षों के भीतर 50% घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA) तक पहुंचना होगा.
डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन (DVA) व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग में उपयोग किए जाने वाले लोकल कंपोनेंट के प्रतिशत को दर्शाता है. कंपनियों को तीसरे वर्ष तक 25% और पांचवें वर्ष तक 50 % के लोकलाइजेशन लेवल तक पहुंचना होगा.
कुल 5 वर्षों के लिए 35,000 डॉलर और उससे अधिक की कीमत के वाहनों पर 15% सीमा शुल्क (जैसा कि पूरी तरह से नॉक्ड डाउन इकाइयों पर लागू होता है) लागू होगा.
जितने वाहनों को इंपोर्ट करने की अनुमति होगी उन पर छोड़े गए शुल्क या 6484 करोड़ रुपये निवेश (PLI योजना के तहत प्रोत्साहन के बराबर), जो भी कम हो उस पर लाभ मिलेगा.
यदि निवेश 800 मिलियन डॉलर या अधिक है, तो प्रति वर्ष 8,000 से अधिक की दर से अधिकतम 40,000 EV को इंपोर्ट करने की अनुमति नहीं होगी.
हालांकि इसमें यह भी सुविधा दी गई है कि, यदि सालाना तय किए इंपोर्टेड वाहनों की संख्या पूरी नहीं होती है तो उसे अगले साल कैरी फॉरवर्ड यानी कि बढ़ाया जा सकता है.
कंपनी को इन्वेस्टमेंट कमिटमेंट (Investment Commitment) सुनिश्चित करने के लिए छोड़े गए कस्टम ड्यूटी के बदले में बैंक गारंटी देनी होगी.
यदि कंपनी DVA और न्यूनतम निवेश मानदंडों को पूरा नहीं करती है तो इस स्थिति में बैंक गारंटी लागू कर दी जाएगी.
रिपोर्ट्स के अनुसार TESLA भारत में एक नए प्लांट में शुरुआत में लगभग 2 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है. ऐसे में ये पॉलिसी कंपनी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.