टायर का रंग आखिर 'काला' ही क्यों होता है? जानिए क्या है वजह

BY: Ashwani Kumar

दुनिया में पहिए के अविष्कार को मानव सभ्यता के सबसे बेहतरीन खोजों में से एक माना जाता है. इस खोज ने इंसानी जिंदगी को जो गति दी है वो अनवरत जारी है.

पहले पत्थर फिर लकड़ी के पहियों ने जब रबर से बने टायर का रूप लिया तो ये क्रांतिकारी परिवर्तन जैसा था. टायर का इतिहास तकरीबन 175 साल से ज्यादा पुराना है. 

दुनिया को टायर देने का श्रेय महान अविष्कारक स्कॉटिश इंजीनियर और उद्यमी रॉबर्ट विलियम थॉमसन को जाता है, जिन्होनें 1846 में दुनिया के सबसे पहले रबर से बने टायर का अविष्कार किया. 

इसके बाद जॉन बॉयड डनलप ने 1888 में वायवीय (Pneumatic) हवा से भरे टायर के आविष्कार का दावा किया, हालांकि वो इस बात से अनजान थें कि रॉबर्ट थॉमसन ने पहले ही 1846 में टायर के डिजाइन का पेटेंट करा लिया था. 

बहरहाल, टायर से हम सभी परिचित हैं लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि वाहन का रंग चाहे जो भी हो लेकिन टायर का रंग हमेशा काला (Black) ही क्यों होता है? यदि अब तक नहीं सोचा है तो आगे की स्लाइड में जानिए पूरी सच्चाई-

हालांकि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि, तकरीबन 125 साल पहले तक टायर का रंग सफेद हुआ करता था, क्योंकि जिस रबर जिससे टायर बनता है उसका रंग दुधिया (Milky White) होता है. 

टायर के काले होने का मुख्य कारण उसमें मौजूद कार्बन कंपाउंड होता है. इसके अलावा इसमें कार्बन ब्लैक का भी प्रमुखता से इस्तेमाल होता है. 

टायर के निर्माण में कई तरह के केमिकल मिलाए जाते हैं इसके ओरिजनल मैटीरियल का कलर सफेद होता है, लेकिन ये उतना मजबूत नहीं होता है कि इसका इस्तेमाल वाहनों में किया जा सके.  

इसलिए टायर के निर्माण में 'कार्बन-ब्लैक' मिलाया जाता है और इसी के चलते टायर का रंग काला होता है. यह टायर की गुणवत्ता को बेहतर करता है.

यदि रबर में कार्बन ब्लैक का इस्तेमाल न किया जाए जो धूप और गर्मी ये रबर खराब हो जाते हैं. टायर के रबर को खराब होने से बचाने के लिए कार्बन ब्लैक अहम भूमिका निभाता है.

जब वाहन चलता है तो टायर तेजी से गर्म होता है, ऐसे में कार्बन ब्लैक गर्मी को कम करने में मदद करता है और टायर पिघलते नहीं हैं. इतना ही नहीं, कार्बन ब्लैक टायरों को ओजोन और अल्ट्रावायलेट (UV) विकिरण के हानिकारक प्रभावों से भी बचाता है. 

टायर किसी भी वाहन का सबसे महत्वपूर्ण कंपोनेंट होता है, ये न केवल वाहन को गति देता है बल्कि पूरे वाहन का भार भी वहन करता है. ऐसे में इसकी मजबूती से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है.