पहली कमाई से घर या कार...दोनों बेकार!
पहली ही अच्छी नौकरी मिल गई है, सैलरी ठीक-ठाक है. हर महीने अच्छी-खासी रकम बचा लेते हैं.
इस पैसे का क्या करें? अधिकतर नए पेशेवर ऐसी स्थिति में घर या कार खरीदने को तरजीह देते हैं.
जानकारों की मानें तो पहली नौकरी के साथ अपनी जरूरतों और भविष्य को ध्यान में रखकर फैसला लें.
कई लोग बहकावे में आकर गलत फैसले ले लेते हैं, जिसका सीधा असर उनके फ्यूचर प्लान पर पड़ता है.
इस बात का ध्यान रखें अगर आप शुरुआती नौकरी में पहले घर खरीदते हैं, तो उस शहर में बंध कर रह जाएंगे.
आमतौर पर देखा जाता है, लोग करियर ग्रोथ की वजह से शुरुआती दौर में एक से दूसरे शहर शिफ्ट होते हैं.
ऐसे में पहली नौकरी के साथ ही घर खरीद लेने पर अधिकतर लोग नौकरी या शहर बदलने की स्थिति में नहीं रहते.
अगर आप घर खरीदते हैं तो फिर आपकी सैलरी से बड़ा हिस्सा EMI में जाएगा और बाकी फैसले प्रभावित होंगे.
40 लाख रुपये का घर लेते हैं तो 10% डाउन पेमेंट के बावजूद हर महीने 30-35 हजार की ईएमआई चुकानी होगी.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, घर तब खरीदना चाहिए, जब लगे कि कमाई का 20-25% होम लोन की EMI में दे सकें.
उदाहरण के तौर पर आपकी सैलरी 1 लाख रुपये महीने है, तो फिर 25 हजार रुपये महीने की EMI भर सकते हैं.
कार को कभी भी वेल्थ के तौर पर नहीं आंका जाता है, क्योंकि शोरूम से उतरते ही इसकी कीमत कम हो जाती है.
अगर आपका घर, दफ्तर से ज्यादा दूर नहीं है, तो फिर पहली नौकरी के साथ कार खरीदना फैसला गलत माना जाता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, पहली नौकरी के साथ ही अपने ऊपर बड़ी EMI का बोझ डालने से बचना फायदे का सौदा साबित होगा.
इससे बेहतर है कि आप अपनी सेविंग्स को ऐसी जगह या प्लान में इन्वेस्ट करें, जो आने वाले समय में इसे बढ़ाने वाला हो.