भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां सोने की खपत काफी ज्यादा है. परंपरागत तौर पर सोने से बने गहने भारतीयों की पसंद रहे हैं.
शादी-विवाह और जन्मदिन जैसे मौकों पर करीबी लोगों को गिफ्ट देने के लिए भी लोग सोने के गहनों को सबसे ज्यादा तरजीह देते हैं.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गिफ्ट में दिए गए ऐसे गहने टैक्सफ्री नहीं होते. एक लिमिट के बाद इनके ऊपर भी टैक्स की देनदारी बनती है.
परिवार के सदस्यों से शादी, सालगिरह या जन्मदिन जैसे मौकों पर गिफ्ट में मिले सोने के गहने टैक्सफ्री होते हैं.
एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विरासत में मिलने वाले सोने के गहनों के ऊपर भी टैक्स की देनदारी नहीं बनती है. लेकिन बेचने टैक्स की देनदारी बन जाती है.
ऐसे मामलों में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती है. कैपिटल गेन टैक्स की गणना करने के लिए होल्डिंग पीरियड को आधार बनाया जाता है.
उदाहरण के लिए आपकी शादी पर आपकी मां ने सोने के गहने गिफ्ट किए. उन्हें ये गहने उनकी शादी पर उनके पिता यानी आपके नाना से मिले थे.
अगर आपके नाना ने अपने जमाने में इन गहनों को एक लाख रुपये में खरीदा था, तो कैपिटल गेन तय करने के लिए इन गहनों की शुरुआती कीमत एक लाख रुपये मानी जाएगी.
इसके बाद गहनों के अभी के मूल्य में एक लाख रुपये घटाकर कैपिटल गेन निकाला जाएगा, जिसके ऊपर टैक्स की देनदारी बनेगी.
अगर होल्डिंग पीरियड 36 महीने से अधिक है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और 36 महीने से कम पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा.