23 April, 2023 By- Business Team

अनिल अंबानी को ले डूबीं ये 5 गलतियां, कभी टॉप-10 अमीरों में थे शामिल


रिलायंस ग्रुप की स्थापना धीरूभाई अंबानी ने साल 1958 में की थी. आज उनके दोनों बेटे कारोबार संभाल रहे हैं.


साल 2002 में धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के कारोबार का बंटवारा मुकेश और अनिल अंबानी के बीच हुआ था.


मुकेश अंबानी को पेट्रोकेमिकल, टेक्सटाइल और रिफाइनरी का कारोबार मिला, तो अनिल को टेलीकॉम, फाइनेंस और एनर्जी का बिजनेस मिला.


बंटवारे के वक्त अनिल अंबानी की स्थिति मजबूत मानी जा रही थी. क्योंकि उनके पास नए जमाने का बिजनेस था.


नए जमाने का बिजनेस मिलने के बाद भी वे कुछ खास कमाल नहीं कर पाए और आज उनकी कंपनियां दिवालियापन का सामना कर रही हैं.


अनिल अंबानी के पास टेलीकॉम, पावर और एनर्जी का बिजनेस था, जो नए जमाने में सफलता की गारंटी माना जा रहा था.


अनिल अंबानी ने बिना सटीक प्लानिंग के कारोबार को आगे बढ़ाने की जल्दबाजी की, वे बिना तैयारी एक के बाद एक नए प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाते गए. 


अनिल अंबानी उस समय ऊर्जा से लेकर टेलीकॉम सेक्टर के किंग बनने के लिए जिन नए प्रोजेक्ट में दांव लगा रहे थे, उनमें लागत अनुमान से ज्यादा आ रही थी.


अनिल अंबानी किसी एक कारोबार पर पूरी तरह फोकस नहीं कर सके. वे एक से दूसरे बिजनेस में कूदते रहे. इस वजह से कई प्रोजेक्ट्स में पैसा अटक गया.


अनुमान से ज्यादा लागत होने के चलते उन्हें परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एडिशनल इक्विटी और देनदारों से कर्ज लेना पड़ा. 


अनिल अंबानी ने ज्यादातर बिजनेस से जुड़े फैसले महत्वाकांक्षा के फेर में पड़कर लिए थे. बढ़ते कर्ज के अलवा 2008 की ग्लोबल मंदी ने उन्हें जोरदार झटका दिया.