'मैं बचे हुए जोकरों में आखिरी...' क्यों बोले Infosys को-फाउंडर?
आईटी सेक्टर की दिग्गज Infosys ने अपने चार दशक पूरे कर लिए हैं.
एन आर नारायण मूर्ति ने पत्नी से 10,000 रुपये उधार लेकर इसे शुरु किया था.
1981 में नारयाण मूर्ति समेत 7 लोगों ने मिलकर इस कंपनी की शुरुआत की थी.
बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलकेणि ने बड़ी बात कही.
नंदन नीलकेणि ने मजाकिया अंदाज में कहा, 'मैं बचे हुए जोकरों में आखिरी हूं...'
दरअसल, नए नेतृत्व के बारे में सवाल पूछे जाने पर नीलकेणि ने ये प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने कहा कि मुझ पर लीडरशिप स्ट्रक्चर को स्थापित करने की जिम्मेदारी है.
मुझे अभी तक ऐसा व्यक्ति नहीं मिला है, जिसे मैं इस जिम्मेदारी को सौंप सकूं.'
नीलेकणि ने कहा- जब भी मैं इससे बाहर निकलूंगा, एक गैर-संस्थापक व्यक्ति को कमान सौंपूंगा.
अगर यह काम नहीं करता है, तो Plan-B नहीं है, क्योंकि मैं 75 की उम्र में वापस नहीं आ सकता.
इस मौके पर एन आर नारायण मूर्ति ने अपने दिए एक बयान पर अफसोस जताया.
उन्होंने कहा था,'किसी फाउंडर के परिवार का सदस्य कभी इंफोसिस में काम नहीं कर सकता.'
Narayan Murthy ने कहा, मैं गलत था..मैंने जो कहा, अब वापस लेता हूं.'
6,60,184.76 करोड़ रुपये MCap वाली इंफोसिस का कारोबार दुनियाभर में है.