बंटवारे में अनिल को मिला था मनचाहा कारोबार, मुकेश अंबानी के हाथ फिसला था ये बिजनेस
मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी को रिलायंस इंडस्ट्रीज का कारोबार विरासत में मिला.
आज दोनों भाई अपने पिता धीरूभाई अंबानी के कारोबार को अलग-अलग आगे बढ़ा रहे हैं.
अनिल अंबानी की वित्तीय स्थिति कमजोर हुई है. उनकी कंपनियां बैंकों के भारी भरकम कर्ज के बोझ के तले दबी हैं.
वहीं, मुकेश अंबानी ने अपने हिस्से आए रिलायंस के कारोबार को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचा दिया है.
हालांकि, जब दोनों भाइयों के बीच बिजनेस का बंटवारा हुआ था, तब अनिल अंबानी की स्थिति मजबूत मानी जा रही थी.
पिता धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों के बीच पनपे मनमुटाव के बाद कारोबार का बंटवारा हुआ था.
मुकेश और अनिल अंबानी के बीच अविश्वास की खाई इतनी चौड़ी हो गई कि मां कोकिलाबेन को दखल देना पड़ा था.
कोकिलाबेन ने मुकेश को ऑयल रिफाइनरीज और पेट्रोकेमिकल का कारोबार सौंप दिया, तो अनिल के हिस्से में टेलीकॉम, फाइनेंस और एनर्जी यूनिट्स आईं थीं.
इसके अलावा दोनों भाइयों ने एक-दूसरे से होड़ या प्रतिस्पर्धा नहीं करने के एक समझौते पर भी साइन किया.
तय हुआ कि मुकेश टेलीकॉम कारोबार में पैर नहीं रखेंगे, जबकि अनिल ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल से दूर रहेंगे.
बंटवारे में अनिल अंबानी को वो सभी कारोबार मिले, जिसके लिए वो अड़े थे. लेकिन टेलीकॉम के बिजनेस को मुकेश अंबानी के हाथों से निकल गया.
मुकेश अंबानी ने टेलीकॉम के कारोबार को अपने हाथों से सिंचकर तैयार किया था. वो उनके हाथ से निकल गया पर उस वक्त मुकेश खामोश रहे.
शुरुआत में अनिल अंबानी के लिए स्थितियां अनुकूल रहीं. लेकिन समय आगे बढ़ा और उनके कारोबार में गिरावट का दौर शुरू हो गया.
फिर 2008 की मंदी ने अनिल अंबानी को तगड़ा झटका दिया. दूसरी तरफ मुकेश अंबानी के हिस्से आए कारोबार ने सफलता की राह पकड़ ली थी.
दोनों भाइयों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं करने की शर्त 2010 में खत्म हो गई. इसे मुकेश ने मौके के तौर पर लिया और टेलीकॉम सेक्टर में उतरने का फैसला किया.
इसकी तैयारी में अगले सात साल में उन्होंने 2.5 लाख करोड़ रुपये निवेश किए. फिर नई कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम के लिए हाई स्पीड 4G वायरलेस नेटवर्क तैयार किया.