26 June 2024
Credit: DRDO
ऐसी मिसाइल या रॉकेट जो तेज गति से जाकर अंतरिक्ष में दुश्मन देश के सैटेलाइट को मार गिराए. उसे एंटी-सैटेलाइट हथियार (ASAT Weapon) कहते हैं.
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ASATs दो तरह के होते हैं. पहला मिसाइल की काइनेटिक ऊर्जा का फायदा उठाकर किसी सैटेलाइट से टकरा देने से सैटेलाइट खत्म हो जाती है. दूसरा नॉन-काइनेटिक हथियार, यानी साइबर अटैक किया जाता है.
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आपको याद होगा कि 27 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल टेस्ट की जानकारी देकर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था.
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इस टेस्ट में DRDO द्वारा बनाई गई पृथ्वी डिफेंस व्हीकल मार्क-2 (PDV MK-II) से भारतीय सैटेलाइट माइक्रोसैट-आर को धरती की निचली कक्षा में मार गिराया गया था.
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संभावना है कि भारत मिशन शक्ति (Mission Shakti) फिर से दोहराए. ताकि पृथ्वी डिफेंस व्हीकल मार्क-2 (PDV MK-II) का प्रोडक्शन स्टेटस, उसकी ताकत और क्षमता की जांच की जा सके.
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हालांकि, अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. लेकिन ऐसी खबरें आ रही हैं कि भविष्य में होने वाले एंटी-सैटेलाइट टेस्ट ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
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बात 1957 की है जब सोवियत संघ ने दुनिया का पहला सैटेलाइट स्पुतनिक-1 लॉन्च किया. अमेरिका को लगा कि दुश्मन धरती की कक्षा में परमाणु हथियार तैनात कर रहा है. तब अमेरिका ने पहला ASAT बनाया.
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फिर सोवियत ने भी अपना ASAT बना डाला. नाम दिया को-ऑर्बिटल्स (Co-Orbitals). 2007 में चीन भी इस रेस में शामिल हुआ.
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भारत के पास एंटी-सैटेलाइट मिसाइल के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस (पैड) सिस्टम है. इसे प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइइल इंटरसेप्टर भी कहते हैं.
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यह पृथ्वी के वातावरण से बाहर और पृथ्वी के वातावरण से अंदर के टारगेट पर हमला करने में सक्षम हैं. हमारे वैज्ञानिकों ने पुराने मिसाइल सिस्टम को अपग्रेड किया है.
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भारतीय ASAT मिसाइल की रेंज 2000 किमी है. यह 1470 से 6126 km/hr की रफ्तार से स्पेस में जाती है. बाद में इसे अपग्रेड कर ज्यादा ताकतवर और घातक बनाया जा सकता है.
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