1. महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 में तमिलनाडु के इरोड में एक ब्राह्मण अयंगर परिवार में हुआ था. हर साल उनकी जयंती को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है.
2. बचपन से ही उन्हें गणित में रुचि थी जिसकी वजह से उन्होंने महज 12 साल की उम्र में त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी.
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3. कभी भी कोई औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं करने के बावजूद, रामानुजन के रहस्यमय मॉक थीटा फ़ंक्शंस ने गणितीय विश्लेषण में क्रांति ला दी, जबकि अत्यधिक मिश्रित संख्याओं और विभाजन फ़ंक्शंस पर उनके काम ने संख्या सिद्धांत में नए क्षेत्र खोले.
4. रामानुजन को गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए स्कॉलरशिप मिली थी, लेकिन बाद में अन्य विषयों में खराब प्रदर्शन की वजह से उन्हें इसका फायदा नहीं मिल सका.
5. उन्होंने बिना किसी सहायता के अपने दम पर कई प्रमेय (Theorem) बना डाली थी. उन्होंने गणितीय विश्लेषण, संख्या सिद्धांत, अनंत श्रृंखला और निरंतर भिन्नों में असाधारण योगदान दिया.
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6. उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस. एल. लोनी की विश्व प्रसिद्ध त्रिकोणमिति (Trigonometry) पर लिखित पुस्तक का अध्ययन कर लिया और मैथमेटिकल थ्योरी बनाई थी.
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7. श्रीनिवास रामानुजन ने 1912 में मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में क्लर्क के रूप में काम करना शुरू किया. जहां रामानुजर की प्रतिभा देखकर उनके कुछ सहयोगियों ने उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज के प्रोफेसर जीएच हार्डी के पास भेजा
8. वे ट्रिनिटी कॉलेज के फेलोशिप चुने जाने वाले पहले भारतीय भी थे. रामानुज ने साल 1916 में साइंस विषय में ग्रेजुएशन की और हार्डी की मदद से अपने विषय पर कई पेपर प्रकाशित किए.
9. 26 अप्रैल 1920 को टीबी की बीमारी के कारण उनका निधन हो गया था. उस समय उनकी उम्र महज 32 साल थी.
10. साल 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गणित के क्षेत्र में रामानुजन के जीवन और उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में घोषित किया था.