13 April 2024
Credit: Freepik
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हम अपने समय, वास्तविक रिश्तों, सार्थक काम और मन की शांति को महत्व देना शुरू कर देते हैं.
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लेकिन फिर भी हममें से ज्यादातर लोग साल दर साल रोज ऐसे कामों में वक्त गुजार देते हैं, जो निरर्थक हों.
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हम अपने महत्वपूर्ण रिश्तों को हल्के में लेते हैं. हम आंतरिक प्रतिरोध के साथ संदेहपूर्ण ढंग से काम करने लगते हैं और हम रोजमर्रा के तनाव को अपने ऊपर हावी होने देते हैं.
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आज हम रोजमर्रा की उन 3 कॉमन बातों के बारे में बात करेंगे जो हमारी वास्तविक क्षमता को ख़त्म कर देती हैं.
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अच्छा जीवन तभी से शुरू हो जाता है, जब आप बेहतर जीवन का इंतजार करना बंद कर देते हैं. फिर भी बहुत से लोग जिंदगी बस इस तरह गुजार देते हैं कि कब दिन के शाम 5 बजेंगे, कब शुक्रवार आएगा और कब छुट्टियां आएंगी.
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जिंदगी में कोई पेशन या जुनून न हो तो जीवन निरर्थक है. हममे से काफी लोग ये सोच-सोच कर वक्त बर्बाद कर देते हैं कि वो जिंदगी में कोई पेशन बनाएंगे और यही सोच हमारी क्षमता को खत्म करती चली जाती है.
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कंट्रोल करना तब तक अच्छा है जब तक चीजें हमारे बस में हों लेकिन जब चीजें बस से बाहर हों और हम उसे कंट्रोल करना चाहें तो ये हमारी क्षमता को पूरी तरह बेकार कर देता है.
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जैसे-बारिश हो रही है तो इस स्थिति में सबसे अच्छा है कि बारिश को होने दो, अगर हम इस चाहत में रहें कि बारिश बंद हो तो कुछ करें या बारिश बंद क्यों नहीं हो रही तो हमारी क्षमता पर असर डालती है.
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