10 March 2024
सफलता, धैर्य-त्याग और कठिन परिश्रम मांगती है. दिल्ली के मुखर्जी नगर में तैयारी कर रहे पुष्पेंद्र श्रीवास्तव इसकी जीती-जागती मिसाल हैं. जो नए अभ्यर्थियों के लिए मोटिवेशन की नजीर बन गए हैं.
मोटिवेशन का अगर मानवीयकरण हो तो उसका नाम 'पुष्पेंद्र भइया' रखा जा सकता है. वे जीवन के करीब 27 साल सिविल सर्विसेज की तैयारियों को समर्पित कर चुके हैं.
उनके चेहरे पर वही कॉन्फिडेंस और सफलता हासिल करने की लगन साफ झलकती है. नेहरू विहार में कई सालों से रह रहे पुष्पेंद्र को अब इलाके में एक अलग पहचान मिल चुकी है.
अब तक UPSC समेत नौ राज्यों के सिविल सर्विसेज की 73 प्रीलिम्स परीक्षा पास करने वाले पुष्पेंद्र श्रीवास्तव की कहानी ऐसे तमाम एस्पिरेंट्स को प्रेरित करने वाली है जो पहले ही अटेंप्ट में 'गिव अप' कर देते हैं.
सिर्फ प्रीलिम्स ही नहीं, पुष्पेंद्र ने अभी तक 42 मेंस एग्जाम भी दिए हैं और आठ बार उसमें सफल होकर इंटरव्यू भी दिए, अब बस फाइनल सेलेक्शन का इंतजार है.
पुष्पेंद्र श्रीवास्तव मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटे से गांव बंभौरी से कई साल पहले यूपीएससी की तैयारी करने नेहरू विहार आए थे.
इससे पहले वो इलाहाबाद में यूपी पीसीएस परीक्षा का प्रीलिम्स और मेंस निकालकर यहां पहुंचे थे.
यह वो दौर था जब आज नामी UPSC शिक्षक बन चुके डॉ. विकास दिव्यकीर्ति जैसे नाम भी मुखर्जीनगर में उनके साथ तैयारी में मशगूल थे.
पुष्पेंद्र बताते हैं कि उनके माता-पिता दोनों ही सरकारी शिक्षक थे, सिर्फ वही नहीं बल्कि परिवार में और भी कई रिश्तेदार शिक्षक ही थे.
गांव से 10वीं की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने बाकी की पढ़ाई छतरपुर से की. इसके बाद सागर यूनिवर्सिटी से BSc और MSc तक की पढ़ाई की.
एक के बाद एक ऐसे नौ राज्यों के PCS और UPSC की 73 प्रीलिम्स पास किए. पीसीएस और यूपीएससी के 42 मेंस लिखे, करीब 22 परीक्षाओं के मेंस छोड़ने पड़े क्योंकि डेट्स में क्लैश होती थी.
फिर कभी एक साल छोड़कर तो कभी दो साल में आठ बार मेंस भी क्लियर किए, लेकिन हर बार इंटरव्यू में नहीं हो पाया. कुछ नंबर कम रह जाते.
पुष्पेंद्र बताते हैं कि अब उनके पास ज्यादा अटेंप्ट नहीं बचे. कोरोना के कारण उन्हें एमपी, बिहार और उत्तराखंड में एक-एक मौका मिल रहा है.
उन्हें अभी भी पूरी उम्मीद है कि वो इन तीनों परीक्षाओं में से एक क्लियर करके स्टेट पीसीएस निकाल ही लेंगे.