क्या आपको भी नहीं आता रोना? पर्सनैलिटी पर असर डालेगी ये आदत

By Aajtak.in

17, May, 2023

हमारे समाज में रोने को अजीब समझा जाता है. रोना कई लोगों के लिए असहज, और शर्मनाक होता है. 

रोना पुरुषों को 'कमजोर' और महिलाओं के 'नाजुक' होने का प्रतीक माना जाता है. लेकिन असली कमजोरी अपनी भावनाओं को छिपाना है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रोना हमारी सेहत के लिए अच्छा है, ये बुरे बैक्टीरिया को हमारे शरीर से बाहर निकालता है, प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है और स्ट्रेस से राहत देता है.

जो लोग अपने इमोशंस को छिपाते हैं, वो खुलकर रोने के साथ-साथ खुलकर हंस भी नहीं पाते. इन लोगों की भावनाओं को पहचानने में भी परेशानी होती है.

भावनाओं को छिपाने वाले लोगों को ये बताने में भी कठिनाई होती है कि वो कैसा महसूस कर रहे हैं. इन लोगों को भावनात्मक रूप से लोगों के सामने खुलने में कठिनाई होती है. 

ये लोग अपने विचारों या भावनाओं को दूसरों के साथ शेयर नहीं कर पाते. गुस्सा या उदासी जैसी मजबूत भावनाओं को व्यक्त करने में इन्हें असमर्थता होती है. 

एक्सपर्ट्स का कहना है कि हंसने की तरह रोना भी हमारे लिए जरूरी है. ऐसा न करना सेहत से लेकर पर्सनैलिटी तक पर भारी पड़ सकता है.