बचपन की वो घटना जिसने भीमराव के मन पर किया तीखा घाव

By Aajtak Education

14 April 2023

बचपन से ही जातिगत भेदभाव का शिकार हुए बाबासाहब भीमराव आंबेडकर ने समाज को छूआछूत और अस्‍पृश्‍यता से छुटकारा दिलाने में ही अपना जीवन लगा दिया. 

उनकी जीवनी के अनुसार, बचपन में एक बार भीमराव अपने भाई और बहन के साथ रेल में सवार होकर अपने पिता से मिलने के लिए जा रहे थे.

जब वह ट्रेन से उतरे तो स्‍टेशन मास्‍टर ने उन्‍हें पास बुलाकर कुछ पूछताछ की. जैसे ही स्‍टेशन मास्‍टर को उनकी जाति का पता चला, वह 5 कदम पीछे हट गया.

आगे जाने के लिए उन्‍होंने तांगा लेने की कोशिश की, मगर कोई तांगेवाला उनकी जाति के चलते उन्‍हें ले जाने को तैयार नहीं हुआ. 

एक तांगावाला तैयार हुआ मगर उसने शर्त रखी कि तांगा बच्‍चों को खुद ही हांकना होगा. भीमराव खुद तांगे को हांककर ले गए. 

बीच रास्‍ते तांगेवाला तो खुद उतरकर एक ढाबे पर भोजन करने लगा, मगर बच्‍चों को अंदर नहीं घुसने दिया गया. उन्‍हें पास ही बह रहे रेतीले पानी से अपनी प्‍यास बुझाई.

भीमराव के दिलो-ज़ेहन में अपने हालात का यह भीषण एहसास बेहद तीखा घाव कर गया जिसके बाद उन्‍होंने देश की राजनीति को ही बदलकर रख दिया.