25 Dec 2024
संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर सियासी संग्राम जारी है.
पिछले कुछ दिनों से आंबेडकर पर विवाद चल रहा है और इस दौरान राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत अन्य कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी का विरोध कर रहे हैं.
विरोध के दौरान राहुल-प्रियंका समेत कांग्रेस के अन्य कार्यकर्ता नीले कपड़ों में नजर आए.
हमेशा देखा गया है कि किताबों में छपी उनकी तस्वीरों और मूर्तियों में भी आंबेडकर हमेशा नीले कपड़ों में दिखाई देते हैं.
लेकिन सवाल यह है कि भीमराव आंबेडकर से नीला रंग कैसे जुड़ा और यह एक पहचान कैसे बना. इस बारे में कई कहानियां हैं, आइए जानते हैं.
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2018 में आंबेडकर महासभा के ललजी निर्मल ने पीटीआई को बताया था कि "नीला उनका पसंदीदा रंग था, और उन्होंने इसे अपनी व्यक्तिगत ज़िंदगी में भी अपनाया था".
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इसके अलावा, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और दलित कार्यकर्ता एस.आर. दारापुरी ने कहा कि नीला रंग भारत के शेड्यूल्ड कास्ट्स फेडरेशन का ध्वज था, जो 1942 में आंबेडकर द्वारा स्थापित किया गया था.
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उन्होंने कहा, "ध्वज नीला था और उसमें अशोक चक्र था. बाद में, 1956 में, जब रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की स्थापना हुई, तो उसे भी वही नीला ध्वज मिला".
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दारापुरी ने यह भी बताया कि नीला रंग आकाश के रंग के समान है, जो विशालता को दर्शाता है और यही बाबा साहेब का दृष्टिकोण था.
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वहीं, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, जिसका नेतृत्व अब केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले कर रहे हैं, आज भी अपने प्रतीक के रूप में नीले ध्वज का उपयोग करती है.
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एक अन्य व्याख्या यह है कि नीला रंग दलित पहचान का एक महत्वपूर्ण रंग है, जिसका दार्शनिक तर्क भी दिया गया है.
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राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रावसाहेब कसबे ने 2018 में सबरंग इंडिया, एक मानवाधिकार समाचार पोर्टल, में कहा था, "नीला आकाश का रंग है, जो भेदभाव के खिलाफ एक प्रतीक है, क्योंकि आकाश के नीचे सभी को समान माना जाता है.
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हालांकि इस पर कई सिद्धांत हैं, लेकिन इसका ठोस इतिहास नहीं है कि नीला रंग दलित प्रतिरोध का रंग क्यों बना".
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दलित अधिकार कार्यकर्ता कांचा इलैयाह ने भी कसबे के दार्शनिक तर्क का समर्थन किया और इसे दलित पहचान बनाने का कारण बताया.
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कांचा इलैयाह ने 2018 में सबरंग इंडिया रिपोर्ट में कहा था, "मैंने कहीं पढ़ा था, मुझे ठीक से याद नहीं, लेकिन मैंने पढ़ा था कि आंबेडकर ने कहा था कि नीला आकाश हमारे ऊपर है.
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जैसे दलित, शूद्र और आदिवासी देशभर में फैले हुए हैं, हमें इस सार्वभौमिक रंग को अपना रंग मानना चाहिए. हम सभी नीले आकाश के नीचे समान हैं".
इस प्रकार, नीला रंग दलितों की पहचान और संघर्ष का प्रतीक बन गया है और इसे बाबा साहेब आंबेडकर से जोड़कर देखा जाता है.