28 Nov 2024
माता-पिता अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कई कदम उठाते हैं. खासकर, जब बात परीक्षा की आती है, तो अधिकांश माता-पिता स्कूल के बाद अपने बच्चों का ट्यूशन लगवाते हैं.
अधिकांश लोग ट्यूशन और कोचिंग क्लासेस को एक ही समझते हैं, जबकि दोनों में अंतर होता है. अगर आपको भी ऐसा लगता है तो आइए जानते हैं कि दोनों का सही मतलब क्या है.
ट्यूशन और कोचिंग में सबसे बड़ा फर्क है कि ट्यूशन, शैक्षणिक सहायता प्रदान करने पर केंद्रित होता है, जबकि कोचिंग, कौशल विकास और व्यक्तिगत विकास पर ज़्यादा ध्यान देता है.
ट्यूशन, किसी खास विषय में महारत हासिल करने पर ज़ोर देता है, जबकि कोचिंग, छात्रों को लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करता है.
ट्यूशन आमतौर पर व्यक्तिगत या छोटे समूहों में दी जाती है, जिसमें बच्चों को स्कूल के पाठ्यक्रम के हिसाब से अतिरिक्त सहायता दी जाती है.
कोचिंग में पूरी रणनीति तैयार की जाती है. शुरू से लेकर अंत तक कोच स्टूडेंट को हर चीज बताता है. इसमें पूरे कोर्स का रोडमैप तैयार होता है.
जरूरी नहीं कि कोचिंग किताबी पढ़ाई के लिए ही हो, इसमें खेल कूद आदि के बारे में सीखना भाी कोचिंग कहलाता है.
Pictures Credit: META AI