कई सौ साल पहले एक अजब किस्म के हालात ने यूरोपियन सरकारों की नाक में दम कर दिया था. इसे डांसिंग मेनिया कहा गया. लोग नाचते-नाचते सड़कों पर दम तोड़ रहे थे.
जुलाई 1374 में यूरोप के चार देशों में तहलका मच गया. जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम और लग्जमबर्ग में लोग घरों या दफ्तरों, जहां भी थे, वहां से निकलकर सड़कों पर आने लगे.
धीरे-धीरे भीड़ सड़कों पर नाचने लगी. क्लासिकल या कोई खास तरह का डांस नहीं, कुछ इस तरह के मूवमेंट जैसे हिस्टीरिकल लोगों में दिखते हैं.
वे झूमते ही जा रहे थे, बिना किसी संगीत के. भीड़ कम होने की बजाए बढ़ती चली गई. लोग बिना खाए-पिए डांस कर रहे थे.
बहुत से लोग बेहोश होकर गिरने लगे लेकिन डांस चलता रहा. फिर जैसे अचानक शुरू हुआ था, वैसे ही डांसिंग प्लेग एकाएक रुक भी गया. किसी को वजह पता नहीं लग सकी.
इसे क्लोरियोमेनिया कहा गया, जो ग्रीक शब्द कोरोस यानी नृत्य और मेनिया यानी पागलपन से बना है. बहुत से लोग इसे डांसिंग प्लेग भी कहने लगे.
चार देशों में एक साथ दिखने पर पड़ोस के देशों ने अपनी सीमाओं पर पहरा लगा दिया ताकि वहां की बीमारी उनके यहां न पहुंच जाए. आगे क्या हुआ, नीचे जानिए.