भारत, स्पेस में इतिहास रचने से कुछ ही कदम दूर है. यह पहली बार होगा जब कोई देश चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास अपनी पहुंच बना लेगा. आइए चांद के इस हिस्से के बारे में जरूरी बातें-
Credit: ISRO
चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल 23 अगस्त शाम 05:30 से 06:30 बजे चांद के उस हिस्से को छूने वाला है, जिसे अब तक किसी ने नहीं देखा था.
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इसरो की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, चांद पर लैंडर मॉड्यूल की प्राइम साइट 4 किमी x 2.4 किमी 69.367621 एस, 32.348126 ई है.
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भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक स्थित मैंजिनस-यू (Manzinus-U) क्रेटर के पास चंद्रयान-3 को उतार सकता है. इसरो के अनुसार चंद्रयान-3 को दक्षिणी ध्रुव के पास उतार रहे हैं. न कि दक्षिणी ध्रुव पर.
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23 अगस्त को लैंडिंग के साथ ही लैंडर विक्रम अपना काम शुरू कर देगा. चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. यही वजह है कि चंद्रयान 3 मिशन 14 दिनों तक चांद की सतह पर रिसर्च करेगा.
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दक्षिणी ध्रुव के पास का तापमान अधिकतम 100 डिग्री सेल्सियस से ऊपर और न्यूनतम माइनस 200 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है. वहां पर्याप्त रोशनी रहती है.
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चंद्रयान-3 जिस जगह पर लैंड करेगा वहां मौजूद पानी ठोस रूप में यानी बर्फ की शक्ल में मिलेगा. चास्टे (ChaSTE), यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा.
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Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर में लगे LHDAC कैमरे ने हाल ही में चार तस्वीरें भेजी हैं. जिनमें कहीं बड़े गड्ढे तो कहीं मैदानी एरिया नजर आ रहा है. वहां ज्यादातर जमीन उबड़-खाबड़ नजर आ रही है.
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माना जाता है कि इस साइट पर चांद की सबसे पुरानी और मोटी परत है जो गड्ढों (क्रेटर्स) से भरी है. नासा की मानें तो इस साइट पर पानी या बर्फ के अलावा कई दूसरे प्राकृतिक संसाधन भी मिल सकते हैं.
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