By: Aajtak Education
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षा मानी जाती है. लाखों युवा यह परीक्षा पास करके देश सेवा का सपना देखते हैं.
एक आईएएस ऑफिसर की ट्रेनिंग की शुरुआत फाउंडेशन कोर्स के साथ मसूरी में स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) में होती है.
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में प्राप्त रैंक के अनुसार इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) पोस्ट मिलती है.
इस परीक्षा में टॉप रैंक वालों को आईएएस पोस्ट मिलता है, लेकिन कई बार टॉप रैंक पाने वाले IPS या IFS चुनते हैं, ऐसे में निचली रैंक प्राप्त करने वालों को भी IAS की पोस्ट मिल जाती है.
आईएएस ऑफिसर जिलाधिकारी के रूप में काफी पावरफुल होता है. एक आईएस के पास जिले के सभी विभाग की जिम्मेदारी होती है.
वह जिलाधिकारी के रूप में पुलिस विभाग के साथ साथ अन्य विभागों का भी मुखिया होता है.
डिस्ट्रिक्ट की पुलिस व्यवस्था की जिम्मेदारी भी जिलाधिकारी के पास ही होती है.
जिले में निषेधाज्ञा, धारा 144 इत्यादि लॉ एंड आर्डर से जुड़े सभी निर्णय एक डीएम ही लेता है. भीड़ पर कार्रवाई करने या फायरिंग जैसे आर्डर भी डीएम दे सकता है.
आईएएस अधिकारी को अपने संबंधित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रस्ताव बनाने के अलावा सभी नीतियों को लागू करने और जरूरी फैसले लेने की पावर मिलती है.
आईएएस अधिकारियों को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग व कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय नियंत्रित करती है.