By: Aajtak Education
मौसम विभाग ने बंगाल की खाड़ी के ऊपर बन रहे चक्रवाती तूफान 'मोचा' को लेकर अलर्ट जारी किया है. कई राज्यों में बारिश और तेज हवाएं चलने की संभावना है. वहीं ओडिशा के साथ ही पश्चिम बंगाल के सभी जिलों में आपात स्थितियों से निपटने के लिए SDFR और NDRF की टीमें तैयार हैं.
क्या कभी आपने सोचा कि तूफानों को उनके नाम देता कौन है? इनका मतलब क्या होता है? नामकरण की शुरुआत कैसे हुई? आइये जानते हैं कौन और कैसे होता है तूफानों का नामकरण.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, किसी विशेष भौगोलिक स्थान या पूरी दुनिया में एक समय में एक से अधिक चक्रवात हो सकते हैं, और यह एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक चल सकते हैं.
ऐसे में आपदा जोखिम जागरूकता, प्रबंधन और बचाव कार्यों को सुविधाजनक बनाने में किसी भ्रम से बचने के लिए हर तूफान को अलग नाम दिया जाता है.
पहले में तूफानों को मनमाने तरीके से नाम दिया जाता था. बाद में, मौसम विज्ञानियों ने अधिक संगठित और कुशल प्रणाली के तहत तूफानों को एक लिस्ट से नाम देने का निर्णय लिया.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (RSMCs) में से एक है, जिसे किसी चक्रवात का नाम देने का काम सौंपा गया है.
अल्फाबेटिकल ऑर्डर के अनुसार, व्यवस्थित देशों द्वारा दिए गए नामों की लिस्ट तैयार की जाती है. यह लिंग, राजनीति, धार्मिक विश्वासों और संस्कृतियों से तटस्थ होते हैं.
एक बार किसी नाम का प्रयोग हो जाने के बाद उसे दोबारा नहीं दोहराया जाता. चक्रवात के नाम में अधिकतम आठ अक्षर हो सकते हैं.
कोई भी नाम किसी भी सदस्य देश के लिए अपमानजनक नहीं होना चाहिए या जनसंख्या के किसी भी समूह की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए.