DM, SDM या ADM....किसके पास होती है सबसे ज्यादा पावर?

30 jan 2025

Credit: META

DM, SDM और ADM जिले के प्रमुख अधिकारियों में से एक है.  UPSC या PCS परीक्षा पास करने का बाद इन पदों पर नौकरी मिलती हैं.

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DM का फूल फॉर्म District Magistrate, SDM का फूल फॉर्म Sub-Divisional Magistrate और  ADM का फूल फॉर्म Additional District Magistrate होता है.

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सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) तहसील स्तर पर सबसे बड़ा प्रशासनिक पद होता है. अगर UPSC कैंडिडेट का चयन IAS के लिए होता है तो ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्ट अधिकतर इसी पद पर मिलती है.

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इसके अलावा अच्छी रैंक के PCS अधिकारी का चयन भी एसडीएम पद के लिए किया जा सकता है.

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SDM का काम कानून-व्यवस्था बनाए रखना, राजस्व संग्रह करना और अनुमंडल स्तर पर विकास कार्यों की निगरानी करना होता है.

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ADM यानी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट जो कि ज़िला मजिस्ट्रेट (DM) यानी कलेक्टर के सहायक होते हैं.

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ADM यानी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट जो कि ज़िला मजिस्ट्रेट (DM) यानी कलेक्टर के सहायक होते हैं.

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जिले में प्रशासन से जुड़े कामों का प्रबंधन करने में एडीएम का अहम योगदान होता है. यूपीएससी से चयनित अभ्‍यर्थियों को ट्रेनिंग के बाद शुरुआत में एसडीएम के पद पर तैनात किया जाता है.

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राज्य सिविल सेवा के सीनियर अधिकारी की भी एडीएम पद पर तैनाती की जा सकती है. एसडीएम की तैनाती उन शहरों में की जाती है जहां एरिया और आबादी ज्यादा होते हैं.

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बड़े इलाकों को संभालने के लिए कलेक्टर यानी डीएम काफी नहीं होते, इसलिए उन्हें अपने सहायक के तौर पर सरकार एडीएम उपलब्ध कराती है.

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यानी (SDM) तहसील स्तर पर सबसे बड़ा प्रशासनिक पद होता है और ADM जिला स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा अधिकारी होता है.

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DM को जिला कलेक्टर भी कहा जाता है. DM बनने के लिए SDM के पोस्ट पर लगभग 5 से 6 साल काम करना होता है. इसके बाद SDM को DM के पोस्ट पर प्रमोट किया जाता है.

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SDM और ADM दोनों ही अधिकारी अपने-अपने स्तर पर पावरफुल होते हैं. हालांकि, कई बड़े शहरों में भी SDM की तैनाती होती है, लेकिन वह डीएम और एडीएम के आदेशों का पालन करता है.

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