17 Oct 2024
DM (जिलाधिकारी) और SP (पुलिस अधीक्षक) इन दोनों पदों के अधिकारियों के पास जिले के प्रशासन और कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है.
दोनों ही भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के महत्वपूर्ण पद हैं. आइये जानते हैं इनकी जिम्मेदारियां, शक्तियां और सैलरी कितनी होती है.
DM एक जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है. इनके पास जिले के विकास कार्यों, राजस्व संग्रह, आपदा प्रबंधन, नीति निर्माण और उनके क्रियान्वयन और अन्य प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी होती है.
SP यानी सुपिरिटेंडेंट ऑफ पुलिस, जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है. इनके पास अपराध नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और अन्य पुलिस संबंधी कार्यों की जिम्मेदारी होती है.
आईपीएस अधिकारी गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करते हैं. आईपीएस अधिकारी के पास पुलिस प्रशासन और लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े फैसले लेने का अधिकार होता है.
अगर दोनों पदों के बीच पावर की तुलना की जाए, तो दोनों के पास अलग-अलग क्षेत्रों में शक्तियां होती हैं.
लेकिन कहा जा सकता है कि एक डीएम के पास ज्यादा पावर होती है, क्योंकि उनके पास एसपी के मुकाबले अधिक क्षेत्रों में फैसले लेने के अधिकार होते हैं.
भारत सरकार के किसी भी सरकारी विभाग या मंत्रालय में पदों पर नियुक्त कर्मचारियों की सैलरी, पे-कमीशन तय करता है. यह कमीशन, बढ़ती महंगाई दर और अन्य कारकों को ध्यान में रखकर तय करता है कि किस रैंक के कर्मचारी को कितनी सैलरी मिलनी चाहिए.
7वें वेतन आयोग के अनुसार, एक DM या SP अधिकारी की शुरुआती बेसिक सैलरी 56,100 रुपये प्रतिमाह है.
इसके साथ ही उन्हें यात्रा भत्ता और महंगाई भत्ता जैसे कई भत्ते मिलते हैं. दोनों को सरकारी बंगला, गाड़ी, कुक, माली समेत अन्य सहायकों की सुविधा दी जाती है.
जैसे-जैसे एक अधिकारी अपने करियर में आगे बढ़ता है, मासिक वेतन बढ़ता है. कैबिनेट सचिव की हाईएस्ट सैलरी 2,50,000 रुपये और डीजीपी की प्रति माह सैलरी 2,25,000 रुपये तक पहुंच सकती है.
(नोट: DM और SP की तस्वीरों का इस्तेमाल केवल प्रतीक के तौर पर किया गया है.)