आचार संहिता के दौरान राज्य सरकारों पर लग जाती हैं कई तरह की पाबंदियां, जानिए

21 Nov 2024

भारतीय निर्वाचन आयोग की आदर्श चुनाव आचार संहिता चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए बनाए गए नियमों का एक सेट है.

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जब भी चुनाव होते हैं, चुनाव आयोग इसकी शुरुआत की घोषणा करता है, और चुनाव खत्म होने पर इसे समाप्त कर देता है.

आचार संहिता के दौरान मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, प्रत्याशी पर क्या-क्या पाबंदियां होती हैं. जानते हैं...

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आचार संहिता लगने के बाद सरकार का कोई भी मंत्री, विधायक यहां तक कि मुख्यमंत्री भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल किसी भी अधिकारी से नहीं मिल सकता. 

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राज्य सरकार का कोई भी मंत्री या कोई भी राजनीतिक कार्यकर्ता सायरन वाली कार का इस्तेमाल नहीं कर सकता, चाहे वो गाड़ी निजी ही क्यों न हो.

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सरकारी विमान, गाड़ियों का इस्तेमाल किसी पार्टी या कैंडिडेट को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता.

राज्य और केंद्र के अधिकारी-कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं. 

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आचार संहिता में सरकार किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं कर सकती.

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किसी भी तरह की नई योजना, निर्माण कार्य, उद्घाटन या शिलान्यास नहीं हो सकता. अगर पहले ही कोई काम शुरू हो गया है तो वो जारी रह सकता है.

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अगर किसी तरह की कोई प्राकृतिक आपदा या महामारी आई हो तो ऐसे वक्त में सरकार कोई उपाय करना चाहती है तो पहले चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी.

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आचार संहिता के दौरान मंत्री-मुख्यमंत्री-विधायक पर कई तरह की पाबंदी लग जाती है. अगर सरकार कुछ भी करना चाहती है तो उसे पहले आयोग को बताना होगा और उसकी मंजूरी लेनी होगी.

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