पश्चिमी देशों में लोग हैलोवीन डे को बड़े उत्साह से मनाते हैं. इस दिन लोग डरावनी वेशभूषा के साथ पार्टी करते हैं.
विदेशों में मनाया जाने वाला हैलोवीन फेस्टिवल अब धीरे-धीरे भारत में भी लोकप्रिय होता जा रहा है.
इस त्योहार पर कभी लोग कद्दू को खोखला करके उसमें डरावने चेहरे बनाते थे. फिर उसके भीतर जलती हुई मोमबत्ती रख देते थे.
इन्हें ही हैलोवीन कहा जाता था. कई देशों में ऐसे हैलोवीन को घर के बाहर अंधेरे में पेड़ों पर लटकाया जाता है जो पूर्वजों का प्रतीक होता है.
जब त्योहार खत्म हो जाता है तो फिर इस कद्दू को दफना भी कर दिया जाता है.
हैलोवीन पर लालटेन जलाने को लेकर पश्चिमी देशों में एक लोककथा है, जिसके अनुसार, कंजूस जैक और शैतान आयरिश 2 दोस्त थे. कंजूस जैक शराबी था.
एक बार उसने आयरिश को अपने घर बुलाया, लेकिन उसने आयरिश को शराब पिलाने से मना कर दिया.
उसने अपने दोस्त को शराब के बदले घर में लगा हुआ कद्दू खरीदने के लिए मना लिया लेकिन बाद में उसने इस बात से भी इनकार कर दिया.
जिसके बाद उसके दोस्त ने गुस्से में पंपकिन की डरावनी लालटने बनाकर अपने घर के बाहर एक पेड़ पर टांग दी. उसने पंपकिन की मुहं की नक्काशी कर दी और जलते हुए कोयले उसमें डाल दिए.
इसके बाद बाकी लोगों ने भी सबक के तौर पर जैक-ओ-लालटेन का चलन शुरू कर दिया. यह लालटेन पूर्वजों की आत्माओं को रास्ता दिखाने और बुरी आत्माओं से उनकी रक्षा करने का भी प्रतीक है.